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धर्मशाला , 01 अप्रैल ! आपदा मुक्त हिमालय को लेकर पीपल फॉर हिमालय अभियान 2024 का आगाज किया गया है। पीपल फॉर हिमालय अभियान, हिमालय क्षेत्र के प्रगतिशील समूहों, नागरिक सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं की ओर से शुरू किया गया। इस विषय में धर्मशाला में प्रेस वार्ता करते हुए बिमला, अध्यक्ष कुलभूषण उपमन्यु, कॉर्डिनेटर गुमान सिंह, सौम्या दत्ता, सुमित व अन्य सदस्यों ने कहा हिमालय क्षेत्रों में विकास के मॉडल को लेकर जमीनी स्तर पर प्लान बनाकर कार्य करना चाइए। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से लगातार विनाश की तरफ बढ़ रहे है, जिसमें प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिल रही हैं। इसके चलते पालमपुर में 60 संगठनों ने एकत्रित होकर एक हिमालयन संरक्षण की डिमांड ड्राफ्ट बनाया है। गुमान सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनावों में राजनीतिक दलों को हिमालयन क्षेत्र के विकास को लेकर नीति से काम करें। साथ ही इस विषय में दिल्ली में जाकर भी राजनैतिज्ञ से मिलकर भी इन विषयों को उठाकर घोषणा पत्र में शामिल करने की बात करेंगे। उन्होंने कहा कि हिमालयन क्षेत्र के विकास को लेकर गलत नीति लेकर चल रहे हैं, जिसे लेकर कार्य करने की जरूरत है। पहाड़ व यंहा की लोगों की समस्याएं एक जैसी है, आजीविका-रोजगार का भी संकट है। अब पहाड़ से पलायन भी हो रहा है, जबकि बाहर की आवादी को बसाने को लेकर षड्यंत्र हो रहा है। पहाड़ की कैरिंग कपेस्टी है, उसके तहत चलना चाइए। उन्होंने सवाल उठाए कि कश्मीर, मणिपुर व अन्य पहाड़ी राज्यों में भी स्थिति ठीक नहीं है। केंद्र सरकार को सुरक्षा, पर्यावरण, रोजगार सहित अन्य बंदोबस्त करना होगा। आने वाले समय में पानी का संकट आने वाला है, जबकि अब छोटे-छोटे नालों में भी हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाए जा रहे हैं। ऐसे में सोलर एनर्जी की तरफ जाकर संरक्षित करना होगा। हिमालयन नीति अभियान के अध्यक्ष कुलभूषण उपमन्यु ने कहा कि हिमालय में आपदा मुक्त टिकाऊ विकास की जरूरत है, जिसमें रोजी-रोटी व पर्यावरण संरक्षित भी रहना चाइए। गलत तरीके से हो रहे विकास आपदाओं को लगातार बढ़ा रहे हैं, ऐसे में ये आपदाएं प्राकृतिक की बजाय मानवनिर्मित ही कही जा सकती है। विकास तो हर क्षेत्र में चाइए, लेकिन विनाश का कारण बन जाए, ऐसे विकास की जरूरत नहीं है। ग्लेशियर को बनाये रखने से ही लगातार पानी मिलता रहेगा, अन्यथा बारिश आधारित पानी पर हम सब निर्भर हो जाएंगे। बीबीएमबी के पैसे व शानन प्रोजेक्ट हिमाचल को मिलने को लेकर कोई बात नहीं हो रही है। सौम्या दत्ता ने कहा कि जलवायु में बड़ा परिवर्तन हुआ है, जोकि बढ़े खतरे की निशानी है। सरकार की ओर से भी हिमालयन रीजन के संरक्षण व विकास को नीति से कार्य नहीं कर रहे हैं। इस विषय को लेकर पड़ोसी पहाड़ी देशों से मिलकर नीति बनाकर कार्य करना होगा। भारत सरकार की ओर से भी सन्सटेबल डवलपमेंट इन हिमालय को लेकर प्लान बनाया गया है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कार्य नहीं हो पा रही है। संदीप ने कहा कि इस बरसात में आये नुकसान को लेकर राज्य सरकार मात्र पैसा मांगती रही, जबकि कोई उचित रणनीति नहीं बनाई गई। बिमला प्रेमी ने कहा कि आपदा होने के कुछ समय के बाद राहत की बात सामने आती है, तो घर बह जाने पर भी ज़मीन-घर ही नहीं मिल पा रहा है। एससी-एसटी स्व प्लान में बजट रखा जा रहा है, जबकि उसे डायवर्ट किया जा रहा है। बीडीसी सदस्य व नो मिन्स नो दिनेश ने कहा कि किन्नौर में हाइड्रो प्रोजेक्ट अंधाधुंध लगने से भूंकप जॉन में लगातार स्लाइडिंग व अन्य खतरे बन गए हैं। पेड़-पौधों को काटने से भी बर्फबारी होने के मौसम में बदलाब हुआ है। *बाईट- कुलभूषण उपमन्यु, अध्यक्ष हिमालयन नीति अभियान*
धर्मशाला , 01 अप्रैल ! आपदा मुक्त हिमालय को लेकर पीपल फॉर हिमालय अभियान 2024 का आगाज किया गया है। पीपल फॉर हिमालय अभियान, हिमालय क्षेत्र के प्रगतिशील समूहों, नागरिक सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं की ओर से शुरू किया गया।
इस विषय में धर्मशाला में प्रेस वार्ता करते हुए बिमला, अध्यक्ष कुलभूषण उपमन्यु, कॉर्डिनेटर गुमान सिंह, सौम्या दत्ता, सुमित व अन्य सदस्यों ने कहा हिमालय क्षेत्रों में विकास के मॉडल को लेकर जमीनी स्तर पर प्लान बनाकर कार्य करना चाइए। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से लगातार विनाश की तरफ बढ़ रहे है, जिसमें प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिल रही हैं। इसके चलते पालमपुर में 60 संगठनों ने एकत्रित होकर एक हिमालयन संरक्षण की डिमांड ड्राफ्ट बनाया है। गुमान सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनावों में राजनीतिक दलों को हिमालयन क्षेत्र के विकास को लेकर नीति से काम करें। साथ ही इस विषय में दिल्ली में जाकर भी राजनैतिज्ञ से मिलकर भी इन विषयों को उठाकर घोषणा पत्र में शामिल करने की बात करेंगे। उन्होंने कहा कि हिमालयन क्षेत्र के विकास को लेकर गलत नीति लेकर चल रहे हैं, जिसे लेकर कार्य करने की जरूरत है। पहाड़ व यंहा की लोगों की समस्याएं एक जैसी है, आजीविका-रोजगार का भी संकट है। अब पहाड़ से पलायन भी हो रहा है, जबकि बाहर की आवादी को बसाने को लेकर षड्यंत्र हो रहा है। पहाड़ की कैरिंग कपेस्टी है, उसके तहत चलना चाइए। उन्होंने सवाल उठाए कि कश्मीर, मणिपुर व अन्य पहाड़ी राज्यों में भी स्थिति ठीक नहीं है। केंद्र सरकार को सुरक्षा, पर्यावरण, रोजगार सहित अन्य बंदोबस्त करना होगा। आने वाले समय में पानी का संकट आने वाला है, जबकि अब छोटे-छोटे नालों में भी हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाए जा रहे हैं। ऐसे में सोलर एनर्जी की तरफ जाकर संरक्षित करना होगा। हिमालयन नीति अभियान के अध्यक्ष कुलभूषण उपमन्यु ने कहा कि हिमालय में आपदा मुक्त टिकाऊ विकास की जरूरत है, जिसमें रोजी-रोटी व पर्यावरण संरक्षित भी रहना चाइए। गलत तरीके से हो रहे विकास आपदाओं को लगातार बढ़ा रहे हैं, ऐसे में ये आपदाएं प्राकृतिक की बजाय मानवनिर्मित ही कही जा सकती है। विकास तो हर क्षेत्र में चाइए, लेकिन विनाश का कारण बन जाए, ऐसे विकास की जरूरत नहीं है। ग्लेशियर को बनाये रखने से ही लगातार पानी मिलता रहेगा, अन्यथा बारिश आधारित पानी पर हम सब निर्भर हो जाएंगे। बीबीएमबी के पैसे व शानन प्रोजेक्ट हिमाचल को मिलने को लेकर कोई बात नहीं हो रही है। सौम्या दत्ता ने कहा कि जलवायु में बड़ा परिवर्तन हुआ है, जोकि बढ़े खतरे की निशानी है। सरकार की ओर से भी हिमालयन रीजन के संरक्षण व विकास को नीति से कार्य नहीं कर रहे हैं। इस विषय को लेकर पड़ोसी पहाड़ी देशों से मिलकर नीति बनाकर कार्य करना होगा। भारत सरकार की ओर से भी सन्सटेबल डवलपमेंट इन हिमालय को लेकर प्लान बनाया गया है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कार्य नहीं हो पा रही है। संदीप ने कहा कि इस बरसात में आये नुकसान को लेकर राज्य सरकार मात्र पैसा मांगती रही, जबकि कोई उचित रणनीति नहीं बनाई गई। बिमला प्रेमी ने कहा कि आपदा होने के कुछ समय के बाद राहत की बात सामने आती है, तो घर बह जाने पर भी ज़मीन-घर ही नहीं मिल पा रहा है। एससी-एसटी स्व प्लान में बजट रखा जा रहा है, जबकि उसे डायवर्ट किया जा रहा है। बीडीसी सदस्य व नो मिन्स नो दिनेश ने कहा कि किन्नौर में हाइड्रो प्रोजेक्ट अंधाधुंध लगने से भूंकप जॉन में लगातार स्लाइडिंग व अन्य खतरे बन गए हैं। पेड़-पौधों को काटने से भी बर्फबारी होने के मौसम में बदलाब हुआ है।
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*बाईट- कुलभूषण उपमन्यु, अध्यक्ष हिमालयन नीति अभियान*
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