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देहरा ! कोरोना वायरस की बजह से बेरोजगारी हद से ज्यादा बढ़ गई है। अपना रोजगार छोड़ दसूरे राज्यों से लोग अब अपने गांव की ओर रुख कर रहे हैं। इसी बीच खतरनाक बीमारी से बचने के लिए इम्युनिटी बढाने की बात भी हो रही है और हल्दी इसका बेहतर विकल्प है। यहां हिमाचल प्रदेश के किसानों के लिए खुशखबरी है। अब देशभर में हल्दी की डिमांड बढ़ने लगी है। इसी के चलते देहरा से सम्बंध रखने वाले फाइटो केमिकल साइंटिस्ट सुदेश्वर साकी ने कांगड़ा से हल्दी की विभिन्न प्रजातियों की डिमांड की तो द पोंग एनजीओ ने आगे आकर किसानों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है। एनजीओ ने इससे पहले गर्म इलाके में तैयार होने वाले सेब के प्रति किसानों बागवानों को जागरूक किया है। सेब के दो लाख पौधे कामयाब हो गए हैं। लेकिन अभी तक लोगों ने सेब के पौधे सिर्फ शौकिया तौर पर लगाए हैं। इसी लिए पोंग एनजीओ ने देहरा के जलशक्ति विभाग के रेस्ट हाउस में अविनाश सेठी की अध्यक्षता में वार्षिक बैठक का आयोजन किया। जिसमें यह निर्णय लिया गया कि किसानों को हल्दी की नई किस्म प्रगति के बारे में जागरूक किया जाएगा। इसके लिए उद्योग एवं परिवहन मंत्री बिक्रम ठाकुर व राज्य योजना बोर्ड उपाध्यक्ष रमेश धवाला से सरकार द्वारा सहयोग मांगा गया है। जिससे एनजीओ किसानों को सीधा संपर्क कर सकता है। द पोंग एनजीओ की इस बैठक में अध्यक्ष अविनाश सेठी, महासचिव ब्रजेश्वर साकी, राकेश पटियाल, अंकुश धरियाल, प्रिंस मोहन, राहुल कौंडल सहित कई सदस्यों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। प्रगति हल्दी के परीक्षण में इसकी कुकुमिन की मात्रा 5.2% से ज्यादा आंकी गई है जो कि इसकी उच्च गुणवत्ता को दर्शाता है। इसके अलावा सामान्य हल्दी की फसल में 2 से 3 वर्ष का समय लगता है वही प्रगति हल्दी का यह बीज 6 महीने यानी 180 दिन में तैयार हो जाता है। इसके अलावा इस की फसल बढ़ोतरी भी 20 से 30 गुणा है जोकि बाकी हल्दी से कई गुना ज्यादा है। एनजीओ द्वारा जागरूक करने के बाद पिछले एक साल में तकरीबन 400 किसानों को अपने साथ जोड़कर हल्दी की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। यदि आप 1 टन हल्दी के बीज की बिजाई करें तो जिससे 6 महीने में 24 टन हल्दी की पैदावार होती है। जिस की कीमत 24 लाख रुपये है। हल्दी की खेती करने वाले किसानों को पहले अपने खेतों में इसकी खेती की पूरी जानकारी होनी चाहिए। हिमाचल में कांगड़ा, हमीरपुर, बिलासपुर, मंडी और ऊना जिलों का इलाका हल्दी की खेती के लिए बहुत उपयुक्त है और इन सभी जगह से किसान हल्दी की खेती कर रहे हैं।
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