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चम्बा [ भरमौर ] , 02 नवम्बर [ शिवानी ] ! चम्बा जिला के जनजातीय क्षेत्र भरमौर के कुगति में कार्तिक स्वामी महराज मंदिर के कपाट अगले 145 दिनों के लिए बंद हो गए हैं। अब अगले वर्ष 13 अप्रैल तक मंदिर परिसर में किसी को भी प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी। देव परंपरा का निर्वाह के चलते हर वर्ष कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। मंदिर के पुजारी द्वारा विशेष पूजा अर्चना करने के उपरांत इस कार्य को अंजाम दिया गया। अब इस मंदिर के कपाट अगले वर्ष बैसाखी के पर्व के मौके पर सभी भक्तों के दर्शनों के लिए खोल दिए जाएंगे। यहां हल्की बर्फबारी के बीच भी भक्तों ने कार्तिक स्वामी मंदिर में पहुंचकर कार्तिकेय स्वामी की पूजा अर्चना के साथ भगवान के दर्शन किए। मंदिर के पुजारी ने मंदिर के कपाट बंद होने पर उससे जुड़ी परंपरा के बारे में बताया उन्होंने कहा कि मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान का कार्यक्रम को अंजाम देना वर्जित हो गया है। अब यह कपाट अगले वर्ष बसाखी यानी 13 अप्रैल को खुल जाएंगे। तब तक यहां पर किसी भी तरह की पूजा अर्चना नहीं होगी। आपको बता दें कि यहां बर्फबारी के चलते पुरानी धार्मिक परंपराओं के मुताबिक दिसंबर के महीने से लेकर अप्रैल माह तक यहां मंदिर के कपाट सभी भक्तों के लिए बंद कर दिए जाते हैं और किसी भी तरह की यहां पूजा अर्चना नहीं की जाती है।
चम्बा [ भरमौर ] , 02 नवम्बर [ शिवानी ] ! चम्बा जिला के जनजातीय क्षेत्र भरमौर के कुगति में कार्तिक स्वामी महराज मंदिर के कपाट अगले 145 दिनों के लिए बंद हो गए हैं। अब अगले वर्ष 13 अप्रैल तक मंदिर परिसर में किसी को भी प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी।
देव परंपरा का निर्वाह के चलते हर वर्ष कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। मंदिर के पुजारी द्वारा विशेष पूजा अर्चना करने के उपरांत इस कार्य को अंजाम दिया गया।
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अब इस मंदिर के कपाट अगले वर्ष बैसाखी के पर्व के मौके पर सभी भक्तों के दर्शनों के लिए खोल दिए जाएंगे। यहां हल्की बर्फबारी के बीच भी भक्तों ने कार्तिक स्वामी मंदिर में पहुंचकर कार्तिकेय स्वामी की पूजा अर्चना के साथ भगवान के दर्शन किए।
मंदिर के पुजारी ने मंदिर के कपाट बंद होने पर उससे जुड़ी परंपरा के बारे में बताया उन्होंने कहा कि मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान का कार्यक्रम को अंजाम देना वर्जित हो गया है।
अब यह कपाट अगले वर्ष बसाखी यानी 13 अप्रैल को खुल जाएंगे। तब तक यहां पर किसी भी तरह की पूजा अर्चना नहीं होगी।
आपको बता दें कि यहां बर्फबारी के चलते पुरानी धार्मिक परंपराओं के मुताबिक दिसंबर के महीने से लेकर अप्रैल माह तक यहां मंदिर के कपाट सभी भक्तों के लिए बंद कर दिए जाते हैं और किसी भी तरह की यहां पूजा अर्चना नहीं की जाती है।
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