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चम्बा ! उपायुक्त डीसी राणा ने सभी जिला वासियों से आह्वान करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन के हिसाब से जिला चंबा अति संवेदनशील क्षेत्रों की सूची में शामिल है। ऐसे में स्थानीय पारिस्थितिकीय संतुलन को बनाए रखने में लोगों का सहयोग अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने सभी लोगों से आह्वान किया कि शुद्ध हवा और जल की निरंतर उपलब्धता को बनाए रखने के लिए वन संरक्षण और संवर्धन से संबंधित कार्यों को प्राथमिकता के साथ किया जाना आवश्यक है । उपायुक्त ने पंचायती राज संस्थाओं के नव निर्वाचित प्रतिनिधियों को इस संदर्भ में आम जनमानस में जागरूकता और जानकारी को लेकर वन विभाग का सहयोग करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि वनों में लगने वाली आग पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से सबसे घातक है। आग लगने के कारण स्थानीय वन संपदा को भी काफी नुकसान होता है।जिसके चलते बारिश का पानी जमीन में संग्रहित होने के बजाय नालों में बह जाता है। उपायुक्त ने यह भी कहा कि कोरोना वायरस के इस वर्तमान समय के दौरान लोगों के वायरस से संक्रमित होने की अवस्था में सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान आसपास के जंगलों में लगी आग से उठता धुआं और परेशानी का सबब भी बन सकता है । उन्होंने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए काफी गंभीर है। सरकार द्वारा वनों की आग की रोकथाम को लेकर कई दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। जिसमें संबंधित गांव के टीडी के अधिकारों को बंद करने का निर्णय भी शामिल है । इसके अतिरिक्त दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ वन संरक्षण अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई का प्रावधान है। उपायुक्त ने लोगों से आह्वान करते हुए कहा कि वनों के संरक्षण को लेकर अतीत में हमारे पूर्वजों द्वारा किए गए महान कार्यों से भी सीख ली जानी चाहिए। उन्होंने गांव के आसपास के क्षेत्रों में देवी-देवताओं के नाम पर जंगलों को सुरक्षित रखा। उन्होंने कहा की जिला चंबा के भूकंप और आपदा की दृष्टि से भी अति संवेदनशील होने के कारण लोगों का यह मौलिक दायित्व बनता है कि वे वन संरक्षण और संवर्धन से संबंधित कार्यों पर विशेष प्राथमिकता रखें।
चम्बा ! उपायुक्त डीसी राणा ने सभी जिला वासियों से आह्वान करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन के हिसाब से जिला चंबा अति संवेदनशील क्षेत्रों की सूची में शामिल है। ऐसे में स्थानीय पारिस्थितिकीय संतुलन को बनाए रखने में लोगों का सहयोग अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने सभी लोगों से आह्वान किया कि शुद्ध हवा और जल की निरंतर उपलब्धता को बनाए रखने के लिए वन संरक्षण और संवर्धन से संबंधित कार्यों को प्राथमिकता के साथ किया जाना आवश्यक है । उपायुक्त ने पंचायती राज संस्थाओं के नव निर्वाचित प्रतिनिधियों को इस संदर्भ में आम जनमानस में जागरूकता और जानकारी को लेकर वन विभाग का सहयोग करने के लिए कहा है।
उन्होंने कहा कि वनों में लगने वाली आग पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से सबसे घातक है। आग लगने के कारण स्थानीय वन संपदा को भी काफी नुकसान होता है।जिसके चलते बारिश का पानी जमीन में संग्रहित होने के बजाय नालों में बह जाता है। उपायुक्त ने यह भी कहा कि कोरोना वायरस के इस वर्तमान समय के दौरान लोगों के वायरस से संक्रमित होने की अवस्था में सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान आसपास के जंगलों में लगी आग से उठता धुआं और परेशानी का सबब भी बन सकता है ।
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उन्होंने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए काफी गंभीर है। सरकार द्वारा वनों की आग की रोकथाम को लेकर कई दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। जिसमें संबंधित गांव के टीडी के अधिकारों को बंद करने का निर्णय भी शामिल है । इसके अतिरिक्त दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ वन संरक्षण अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई का प्रावधान है।
उपायुक्त ने लोगों से आह्वान करते हुए कहा कि वनों के संरक्षण को लेकर अतीत में हमारे पूर्वजों द्वारा किए गए महान कार्यों से भी सीख ली जानी चाहिए। उन्होंने गांव के आसपास के क्षेत्रों में देवी-देवताओं के नाम पर जंगलों को सुरक्षित रखा।
उन्होंने कहा की जिला चंबा के भूकंप और आपदा की दृष्टि से भी अति संवेदनशील होने के कारण लोगों का यह मौलिक दायित्व बनता है कि वे वन संरक्षण और संवर्धन से संबंधित कार्यों पर विशेष प्राथमिकता रखें।
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