- विज्ञापन (Article Top Ad) -
चम्बा ! विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन चम्बा ने बुधवार को अपनी मांगों को लेकर जिला मुख्यालय में प्रदर्शन किया। साथ ही बाजार में आक्रोश रैली भी निकाली। रैली के जरिये बोर्ड में आउटसोर्स भर्ती बंद करने की मांग की गई। साथ ही आउटसोर्स प्रणाली में नौकरी कर रहे कर्मचारियों को नियमित करने की मांग रखी। यूनियन के प्रधान दरबारी लाल ने कहा कि सरकार विद्युत कानून 2003 में संशोधन कर रही है। जिसका यूनियन कड़े शब्दों में विरोध करती है। क्योंकि हिमाचल में इस कानून के लागू होने के बाद सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव होंगे। निजी कंपनियों को विद्युत वितरण के कार्य की लागत ज्यादा आएगी। इससे बिजली की दरें बढ़ेगी। साथ ही क्रास सबसिडाइज भी खत्म हो जाएगी। इसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा। यह कानून बिजली कर्मचारियों व उपभोक्ताओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस कानून को बनाने का मकसद संचार, उत्पादन, विवरण को अलग-अलग करना है। साथ ही विवरण विग को छोटे-छोटे टुकडों में बांटकर निजीकरण करना भी है। उन्होंने यह भी मांग की है कि बोर्ड में ठेकेदार प्रथा को पूर्ण रूप से बंद किया जाए। इससे कर्मचारियों का शोषण होता है। जोकि यूनियन बर्दाश्त नहीं करेगी। वहीं, हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत परिषद कर्मचारी यूनियन, यूनिट किलाड पांगी द्वारा भी घाटी मुख्यालय में विद्युत मंडल किलाड़ पांगी कार्यालय के सामने विद्युत कर्मचारी यूनियनों, अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति व हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत परिषद कर्मचारी यूनियन शिमला के आह्वान पर धरना प्रदर्शन किया गया। यह धरना प्रदर्शन केंद्र सरकार के विद्युत कानून 2003 में प्रस्तावित संशोधन बिल के खिलाफ किया गया, जिसके तहत बिजली बोर्ड का निजीकरण बंद करना, 2003 के बाद सेवाएं दे रहे कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल करना व बिजली बोर्ड में चल रही ठेकेदारी प्रथा बंद करने पर रोष प्रकट किया गया।
चम्बा ! विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन चम्बा ने बुधवार को अपनी मांगों को लेकर जिला मुख्यालय में प्रदर्शन किया। साथ ही बाजार में आक्रोश रैली भी निकाली। रैली के जरिये बोर्ड में आउटसोर्स भर्ती बंद करने की मांग की गई। साथ ही आउटसोर्स प्रणाली में नौकरी कर रहे कर्मचारियों को नियमित करने की मांग रखी।
यूनियन के प्रधान दरबारी लाल ने कहा कि सरकार विद्युत कानून 2003 में संशोधन कर रही है। जिसका यूनियन कड़े शब्दों में विरोध करती है। क्योंकि हिमाचल में इस कानून के लागू होने के बाद सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव होंगे। निजी कंपनियों को विद्युत वितरण के कार्य की लागत ज्यादा आएगी।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
इससे बिजली की दरें बढ़ेगी। साथ ही क्रास सबसिडाइज भी खत्म हो जाएगी। इसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा। यह कानून बिजली कर्मचारियों व उपभोक्ताओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस कानून को बनाने का मकसद संचार, उत्पादन, विवरण को अलग-अलग करना है।
साथ ही विवरण विग को छोटे-छोटे टुकडों में बांटकर निजीकरण करना भी है। उन्होंने यह भी मांग की है कि बोर्ड में ठेकेदार प्रथा को पूर्ण रूप से बंद किया जाए। इससे कर्मचारियों का शोषण होता है। जोकि यूनियन बर्दाश्त नहीं करेगी।
वहीं, हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत परिषद कर्मचारी यूनियन, यूनिट किलाड पांगी द्वारा भी घाटी मुख्यालय में विद्युत मंडल किलाड़ पांगी कार्यालय के सामने विद्युत कर्मचारी यूनियनों, अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति व हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत परिषद कर्मचारी यूनियन शिमला के आह्वान पर धरना प्रदर्शन किया गया।
यह धरना प्रदर्शन केंद्र सरकार के विद्युत कानून 2003 में प्रस्तावित संशोधन बिल के खिलाफ किया गया, जिसके तहत बिजली बोर्ड का निजीकरण बंद करना, 2003 के बाद सेवाएं दे रहे कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल करना व बिजली बोर्ड में चल रही ठेकेदारी प्रथा बंद करने पर रोष प्रकट किया गया।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -