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चम्बा , 04 दिसंबर [ शिवानी ] ! जिला के ग्रामीण इलाकों के लोगों की आर्थिकी वन विभाग के जंगल पर भी निर्भर करती है और वन विभाग के जंगल हर साल लोगों की आर्थिकी का जरिया बनते हैं। लोग यहां जंगलों से जड़ी-बूटी निकालने के बाद करोड़ों रुपए कमाते हैं। बता दे कि वन विभाग इसके लिए बाकायदा परमिट जारी करता है ताकि उसके बाद ग्रामीण इलाकों के बाशिंदे वन विभाग के जंगल से जड़ी बूटियों को निकाल सके और उसके बाद इन्हें आगे भेज सकें। हालांकि इन जड़ी बूटियों से वन विभाग को भी राजस्व से प्राप्त होता है। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की आर्थिकी भी काफी हद तक मजबूत होती है चम्बा जिला के ग्रामीण इलाकों में लोगों के पास रोजगार का जरिया बेहद कम होता है। लेकिन वन विभाग के जंगल ही लोगों की आर्थिकी का जरिया बनते हैं और यहां से बेशकीमती जड़ी-बूटी निकालने के बाद वन विभाग द्वारा वेंडर को परमिट जारी किया जाता है। जिसके बाद वह इन जड़ी-बूटियों को बाजार में बेच सकते हैं। हालांकि जहां जंगल होगा वही के लोग जंगल की जड़ी-बूटी निकाल सकते हैं और उन्हें बाकायदा जड़ी बूटी निकालने का परमिट दिया जाता है। इस बारे में जानकारी देते हुए वन विभाग के डीएफओ अमित शर्मा ने बताया कि ग्रामीण इलाकों की आर्थिकी वन विभाग के जंगलों पर काफी हद तक निर्भर रहती है और यहां से जड़ी-बूटी निकालने के बाद वेंडर के माध्यम से उसे बाजार में बेचा जाता है और काफी हद तक लोग अपना आर्थिकी का साधन बनाए हुए है । वहीं दूसरी ओर वन मंडल चम्बा के डीएफओ अमित शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया है कि ग्रामीण इलाकों के लोगों की आर्थिकी वन विभाग के जंगलों पर निर्भर करती है और वन विभाग के जंगलों में प्राकृतिक रूप से तैयार होने वाली बेशकीमती जड़ी बूटियां पाई जाती है और उन्हें निकालने के लिए जो वेंडर होते हैं उन्हें परमिट वन विभाग द्वारा दिए जाते हैं, उसके बाद यह जड़ी बूटियां निकाली जाती है और ग्रामीण इलाकों में लोगों की आर्थिकी का जरिया बनती है।
चम्बा , 04 दिसंबर [ शिवानी ] ! जिला के ग्रामीण इलाकों के लोगों की आर्थिकी वन विभाग के जंगल पर भी निर्भर करती है और वन विभाग के जंगल हर साल लोगों की आर्थिकी का जरिया बनते हैं। लोग यहां जंगलों से जड़ी-बूटी निकालने के बाद करोड़ों रुपए कमाते हैं। बता दे कि वन विभाग इसके लिए बाकायदा परमिट जारी करता है ताकि उसके बाद ग्रामीण इलाकों के बाशिंदे वन विभाग के जंगल से जड़ी बूटियों को निकाल सके और उसके बाद इन्हें आगे भेज सकें।
हालांकि इन जड़ी बूटियों से वन विभाग को भी राजस्व से प्राप्त होता है। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की आर्थिकी भी काफी हद तक मजबूत होती है चम्बा जिला के ग्रामीण इलाकों में लोगों के पास रोजगार का जरिया बेहद कम होता है। लेकिन वन विभाग के जंगल ही लोगों की आर्थिकी का जरिया बनते हैं और यहां से बेशकीमती जड़ी-बूटी निकालने के बाद वन विभाग द्वारा वेंडर को परमिट जारी किया जाता है। जिसके बाद वह इन जड़ी-बूटियों को बाजार में बेच सकते हैं।
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हालांकि जहां जंगल होगा वही के लोग जंगल की जड़ी-बूटी निकाल सकते हैं और उन्हें बाकायदा जड़ी बूटी निकालने का परमिट दिया जाता है।
इस बारे में जानकारी देते हुए वन विभाग के डीएफओ अमित शर्मा ने बताया कि ग्रामीण इलाकों की आर्थिकी वन विभाग के जंगलों पर काफी हद तक निर्भर रहती है और यहां से जड़ी-बूटी निकालने के बाद वेंडर के माध्यम से उसे बाजार में बेचा जाता है और काफी हद तक लोग अपना आर्थिकी का साधन बनाए हुए है ।
वहीं दूसरी ओर वन मंडल चम्बा के डीएफओ अमित शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया है कि ग्रामीण इलाकों के लोगों की आर्थिकी वन विभाग के जंगलों पर निर्भर करती है और वन विभाग के जंगलों में प्राकृतिक रूप से तैयार होने वाली बेशकीमती जड़ी बूटियां पाई जाती है और उन्हें निकालने के लिए जो वेंडर होते हैं उन्हें परमिट वन विभाग द्वारा दिए जाते हैं, उसके बाद यह जड़ी बूटियां निकाली जाती है और ग्रामीण इलाकों में लोगों की आर्थिकी का जरिया बनती है।
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