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चम्बा ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास तत्वावधान में कला सृजन पाठशाला ने महादेवी वर्मा जयन्ती के उपलक्ष्य पर गूगल-मीट सत्र-25 के आयोजन में रचना-पाठ तथा लेख-पाठ किया। आयोजन के शुरू में दिवंगत दीपक कुल्लवी के साहित्यिक एवं पत्रकारिता के योगदान को याद करते हुए सभी उपस्थित सदस्यों एवं रचनाकारों ने दिवंगत दीपक कुल्लवी लेखक, रचनाकार, साहित्यकर, तथा पत्रकार के सम्मान में एक मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी। इसके बाद कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने महादेवी वर्मा का संक्षिप्त जीवन परिचय तथा साहित्यिक परिचय सभी उपस्थित लेखक, रचनाकार, कवि, आलोचक, विद्यार्थियों, पत्रकारों तथा अनुसन्धित्सुओं के समक्ष प्रस्तुत करते हुए लेखक के बारे में जानकारी दी तथा पाठशाला के महासचिव डॉ. सन्तोष कुमार से कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए आग्रह किया। सबसे पहले मोनिका शर्मा ने स्वयं रचित कविता भ्रष्टाचार तथा सृष्टि की रचना का पाठ करके सभी श्रोताओं को आकृष्ट किया। इसके बाद हेमराज ने मैं वसन्त आया कविता पढ़ी। कविता ने पग-पग पर वसन्त उंडेल के रख दिया भूपेन्द्र जसरोटिया ने पींगा पेइयाँ कविता गायन में पढ़ी जिससे सभी झूम उठे। दूसरी कविता सूक्ष्म पढ़ी। इसमें जीवन की अध्यात्म यात्रा बलवती होती है। डॉ. सन्तोष कुमार ने महादेवी वर्मा की कविताओं में नारी जीवन पर एक लेख पढ़ा। साथ में महादेवी वर्मा की कविता मैं हैरान हूं पढ़ी। साथ में रामचरित मानस की एक चौपाई पढ़ कर एक बहस को आमन्त्रण दिया। रेखा गक्खड़ ने जहां महादेवी की कविताएं पढ़ीं वहीं स्वयं रचित कविता भी पढ़ी। उन्होंने अपने पाठ में सभी श्रोताओं को अपनी ओर आकृष्ट भी किया और बांधे भी रखा। नेहा शर्मा ने जिंदगी क्या है कविता का पाठ किया। रवीना सूर्यवंशी ने क्या है यह उम्मीद कविता पढ़ कर सबके भीतर जीवन के प्रति उम्मीद जगा दी। सुनील कुमार ने आज के हालात पर चोट करने वाली कविता सब कुछ बदल जाता है का पाठ किया। मंच का संचालन कला सृजन पाठशाला के महासचिव डॉ. सन्तोष कुमार तथा परामर्शदाता भूपेन्द्र जसरोटिया ने बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ में निभाया। कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने सभी उपस्थित जनों एवं सहभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कला सृजन पाठशाला के आगामी आयोजन में प्रदेश के स्थापित रचनाकार को जोड़ा जाएगा।
चम्बा ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास तत्वावधान में कला सृजन पाठशाला ने महादेवी वर्मा जयन्ती के उपलक्ष्य पर गूगल-मीट सत्र-25 के आयोजन में रचना-पाठ तथा लेख-पाठ किया। आयोजन के शुरू में दिवंगत दीपक कुल्लवी के साहित्यिक एवं पत्रकारिता के योगदान को याद करते हुए सभी उपस्थित सदस्यों एवं रचनाकारों ने दिवंगत दीपक कुल्लवी लेखक, रचनाकार, साहित्यकर, तथा पत्रकार के सम्मान में एक मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी।
इसके बाद कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने महादेवी वर्मा का संक्षिप्त जीवन परिचय तथा साहित्यिक परिचय सभी उपस्थित लेखक, रचनाकार, कवि, आलोचक, विद्यार्थियों, पत्रकारों तथा अनुसन्धित्सुओं के समक्ष प्रस्तुत करते हुए लेखक के बारे में जानकारी दी तथा पाठशाला के महासचिव डॉ. सन्तोष कुमार से कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए आग्रह किया।
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सबसे पहले मोनिका शर्मा ने स्वयं रचित कविता भ्रष्टाचार तथा सृष्टि की रचना का पाठ करके सभी श्रोताओं को आकृष्ट किया। इसके बाद हेमराज ने मैं वसन्त आया कविता पढ़ी। कविता ने पग-पग पर वसन्त उंडेल के रख दिया भूपेन्द्र जसरोटिया ने पींगा पेइयाँ कविता गायन में पढ़ी जिससे सभी झूम उठे। दूसरी कविता सूक्ष्म पढ़ी। इसमें जीवन की अध्यात्म यात्रा बलवती होती है।
डॉ. सन्तोष कुमार ने महादेवी वर्मा की कविताओं में नारी जीवन पर एक लेख पढ़ा। साथ में महादेवी वर्मा की कविता मैं हैरान हूं पढ़ी। साथ में रामचरित मानस की एक चौपाई पढ़ कर एक बहस को आमन्त्रण दिया। रेखा गक्खड़ ने जहां महादेवी की कविताएं पढ़ीं वहीं स्वयं रचित कविता भी पढ़ी।
उन्होंने अपने पाठ में सभी श्रोताओं को अपनी ओर आकृष्ट भी किया और बांधे भी रखा। नेहा शर्मा ने जिंदगी क्या है कविता का पाठ किया। रवीना सूर्यवंशी ने क्या है यह उम्मीद कविता पढ़ कर सबके भीतर जीवन के प्रति उम्मीद जगा दी। सुनील कुमार ने आज के हालात पर चोट करने वाली कविता सब कुछ बदल जाता है का पाठ किया।
मंच का संचालन कला सृजन पाठशाला के महासचिव डॉ. सन्तोष कुमार तथा परामर्शदाता भूपेन्द्र जसरोटिया ने बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ में निभाया। कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने सभी उपस्थित जनों एवं सहभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कला सृजन पाठशाला के आगामी आयोजन में प्रदेश के स्थापित रचनाकार को जोड़ा जाएगा।
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