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चम्बा/भरमौर ! जनजातीय क्षेत्र भरमौर के किसानों ने गत वर्ष अपनी सेब की फसल को बीमारी से बर्बाद होते देखा है जिस कारण फसल मंडियों में सेब के उचित भाव नहीं मिले हैं। अर्थात जनजाति क्षेत्र भरमौर के किसानों को बहुत बड़ी आर्थिक क्षति हुई है। यहां की 80% आबादी इसी व्यवसाय से अपने परिवार का भरण पोषण करती है। उनकी आय का मुख्य साधन सेब ही है। किसानों की मांग है कि यह वर्ष तो बीमारी की भेंट चढ गया है जिस कारण किसानों को अपनी फसल के औने पौने भाव ही मिले हैं। किसानों ने एकमत से कहा है कि बागवानी विभाग की लेट लतीफी के कारण क्षेत्र में सेब की फसल पर बीमारी का प्रकोप बढ़ा। बागवानी विभाग सेब के रोग स्केप,समय से पहले सेब के पत्ते झड़ जाना, बुली एफिड, और सेब के पेड़ अचानक सुख जाना आदि रोगों के उपचार करने में विफल रहा है। किसानों को तो इसका नुकसान उठाना पड़ा है पर सरकार को प्राप्त होने वाले राजस्व में भी बहुत बड़ी कमी हुई है। किसान मांग करते हैं कि बागवानी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी को आदेश करें कि किसानों के बगीचों का निरीक्षण किया जाए कि इस वर्ष जो सेब की फसल को बीमारी हुई है वो किस कारण से हुई है ताकि किसानों को उसकी उचित जानकारी मिल जाए ओर अगले वर्ष सेब की फसल के समय किसान सावधानी से काम करें ताकि सेब को बीमारी से बचा सके और किसानों को बंपर फसल हो और किसान अपनी आय बढ़ा सके।
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