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चम्बा ! समूचे जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण किसान अपनी मक्की की बिजाई करने में असमर्थ दिखाई दे रहे है। बताते चले कि अभी मक्की की बिजाई का समय लगभग समाप्त होने ही वाला है पर किसान लोग जैसे तैसे इस कीचड़ भरी जमीन में इस मक्की की बिजाई को इसलिए भी करना चाह रहे है कि चलो मक्की की फसल नहीं होगी तो कम से कम सर्दियों में मवेशियों के लिए चारा तो प्राप्त होगा। गंदम की फसल न के बराबर होने से निराश हो चुके किसान लोगों का कहना है कि अभी अभी हम लोगों ने जो कनक की फसल काटी है उसमे पैदावार के नाम पर थोड़ा बहुत ही निकला है। इन किसानो ने बताया कि जो फसल कटी हुई है वह इस बारिश के चलते काली पड़ना शुरू हो चुकी है और वह फसल न तो इंसानो के खाने लायक बची हुई है और न ही इसका भूसा जानवरो को खिलाया जा सकता है। हल्की-हल्की रिमझिम बारिश के बीच यह किसान लोग जिनमे महिलाये भी है अपने खेतो में सुबह से ही गंदम की कटाई करने में जुटे हुए है। इन लोगों के मुताबिक मक्की की खेती करने का समय लगभग समाप्त होने ही वाला है पर वह लोग इसलिए भी इस खेती को कर रहे है ताकि मक्की की फसल नहीं तो कम से कम मवेशियों के लिए इन खेतो से चारा तो निकल जाये।अपने खेतो में बिजाई कर रहे इन किसानो से देरी से फसल बिजने बारे पूछा तो उन्होंने बताया कि बेमौसमी बारिश की वजह से पहले कनक की फसल तबाह हो गई है और अभी भी हो रही है। इन लोगों ने बताया कि यह बेमौसमी बारिश कई सालो के बाद हुई है और बारिश के कारण मक्की की फसल करना भी मुश्किल हो गया है और ऐसे में.और इस बारिश में तो खेतो में कैसे काम हो सकता है।ग्रामीण महिलाएं जोकि अपने खेतो में बिजाई के कार्य में जुटी हुई थी,इन महिलाओं ने हमे बताया कि वह लोग मक्की की बिजाई करने में लगे हुए है। वंही उन्होंने इस बिजाई को लेकर शंका जतलाते हुए कहा कि मक्की की बिजाई तो हम लोग कर रहे है पर बेमौसमी बारिश वह भी दिन रात इसमें बाधाएँ पैदा कर रही है। उन्होंने बताया कि बिजाई करने के बाद भी यह फसल उगेगी भी या नहीं यह कहा नहीं जा सकता है।
चम्बा ! समूचे जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण किसान अपनी मक्की की बिजाई करने में असमर्थ दिखाई दे रहे है। बताते चले कि अभी मक्की की बिजाई का समय लगभग समाप्त होने ही वाला है पर किसान लोग जैसे तैसे इस कीचड़ भरी जमीन में इस मक्की की बिजाई को इसलिए भी करना चाह रहे है कि चलो मक्की की फसल नहीं होगी तो कम से कम सर्दियों में मवेशियों के लिए चारा तो प्राप्त होगा। गंदम की फसल न के बराबर होने से निराश हो चुके किसान लोगों का कहना है कि अभी अभी हम लोगों ने जो कनक की फसल काटी है उसमे पैदावार के नाम पर थोड़ा बहुत ही निकला है।
इन किसानो ने बताया कि जो फसल कटी हुई है वह इस बारिश के चलते काली पड़ना शुरू हो चुकी है और वह फसल न तो इंसानो के खाने लायक बची हुई है और न ही इसका भूसा जानवरो को खिलाया जा सकता है। हल्की-हल्की रिमझिम बारिश के बीच यह किसान लोग जिनमे महिलाये भी है अपने खेतो में सुबह से ही गंदम की कटाई करने में जुटे हुए है।
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इन लोगों के मुताबिक मक्की की खेती करने का समय लगभग समाप्त होने ही वाला है पर वह लोग इसलिए भी इस खेती को कर रहे है ताकि मक्की की फसल नहीं तो कम से कम मवेशियों के लिए इन खेतो से चारा तो निकल जाये।अपने खेतो में बिजाई कर रहे इन किसानो से देरी से फसल बिजने बारे पूछा तो उन्होंने बताया कि बेमौसमी बारिश की वजह से पहले कनक की फसल तबाह हो गई है और अभी भी हो रही है।
इन लोगों ने बताया कि यह बेमौसमी बारिश कई सालो के बाद हुई है और बारिश के कारण मक्की की फसल करना भी मुश्किल हो गया है और ऐसे में.और इस बारिश में तो खेतो में कैसे काम हो सकता है।ग्रामीण महिलाएं जोकि अपने खेतो में बिजाई के कार्य में जुटी हुई थी,इन महिलाओं ने हमे बताया कि वह लोग मक्की की बिजाई करने में लगे हुए है।
वंही उन्होंने इस बिजाई को लेकर शंका जतलाते हुए कहा कि मक्की की बिजाई तो हम लोग कर रहे है पर बेमौसमी बारिश वह भी दिन रात इसमें बाधाएँ पैदा कर रही है। उन्होंने बताया कि बिजाई करने के बाद भी यह फसल उगेगी भी या नहीं यह कहा नहीं जा सकता है।
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