- विज्ञापन (Article Top Ad) -
चम्बा ! ज़िला चम्बा में "प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान" योजना के अंतर्गत रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के उपयोग को पूर्णता समाप्त करके किसानों की आर्थिकी को बढ़ाने के उद्देश्य से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। उपायुक्त डीसी राणा ने बताया कि ज़िला में आतमा परियोजना के अंर्तगत “प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान" योजना के तहत 13000 से अधिक किसानों ने प्राकृतिक खेती की तकनीक को अपनाया है । वर्तमान में 1400 हैक्टेयर भूमि में विभिन्न फसलों की मिश्रित खेती की जा रही है। प्राकृतिक विधि से उगाई जा रही फसलों में रासायनिक खादों व कीटनाशकों के प्रयोग को पूरी तरह समाप्त करके अब किसान गाय के गोबर व गौमूत्र से तैयार घटकों का प्रयोग कर रहे हैं । डीसी राणा ने बताया कि ज़िला में लगभग 13500 किसान सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं और 13000 से अधिक किसान वर्तमान में अपने खेतों में इस विधि का प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि चूंकि यह खेती देसी गाय व इसके गौमूत्र पर आधारित है । इसलिए आतमा परियोजना के तहत प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों को एक देसी गाय खरीदने पर 25 हजार रुपये अनुदान स्वरूप उपलब्ध करवाए जा रहे हैं । इसके साथ गाय के यातायात खर्च के लिए पांच हजार रुपये व मंडी शुल्क दो हजार रुपये अलग से दिया जा रहा है। गौमूत्र इकट्ठा करने के लिए गौशाला को पक्का करने व गड्ढा करने के लिए आठ हजार रुपये, विभिन्न आदानों को बनाने व उनके संग्रहण के लिए ड्रम और संसाधन भंडार खोलने के लिए दस हजार रुपये का उपदान का भी प्रावधान है । जारी वित्त वर्ष के दौरान सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती योजना के सफल क्रियान्वयन को लेकर 132.34 लाख रुपये व्यय किये जा रहे । इसके अंतर्गत किसानों को प्रशिक्षित करने , खेत प्रर्दशन,फार्म स्कूल ,आभाषी कार्यशाला, प्रशिक्षित किसानों द्वारा तकनीक विस्तार और खाद्य सुरक्षा ग्रुप का गठन इत्यादि किया जा रहा है। उपनिदेशक आत्मा परियोजना ओम प्रकाश अहीर बताते हैं कि मिट्टी में लाभदायक देसी केंचुए और सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या बढ़ने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढती है। इस विधि से फसल उत्पादन की लागत कम होने के साथ पैदावार लगभग दोगुना हो जाती है। मिश्रित खेती द्वारा अगर एक फसल को किसी भी प्रकार का नुकसान पहुंचता है तो उस अवस्था में इसकी भरपाई दूसरी सह फसलों से आसानी से हो जाती है। इसके साथ प्राकतिक खेती से उत्पादित खाद्यान, फल व सब्जियां पोषणयुक्त और जहरमुक्त होती हैं । इससे लोगों में सकारात्मक असर और प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। वर्तमान परिदृश्य में समाज कोरोना महामारी से जूझ रहा है। प्राकृतिक खेती से पैदा उत्पाद का सेवन प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक है। उपायुक्त डीसी राणा ने किसानों से आग्रह किया है कि वे सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती योजना से लाभ लें और प्राकृतिक खेती को अवश्य अपनाये ।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -