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चम्बा ! विद्युत क्षेत्र में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के देश के संकल्प के अनुरूप, एनएचपीसी इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए श्री ए.के. सिंह, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एनएचपीसी की गतिशील और ऊर्जावान नेतृत्व के तहत अक्षय ऊर्जा संसाधनों के विकास में अग्रणी रहा है। जिला प्रशासन चम्बा (हिमाचल प्रदेश) और एनएचपीसी लिमिटेड के बीच जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश में आज "पायलट ग्रीन हाइड्रोजनटेक्नोलॉजी" के विकास के लिए एक समझौता ज्ञापन ("एमओयू") पर हस्ताक्षर किए गए। श्री डी. सी. राणा, आई.ए.एस. हमाचल प्रदेश की ओर से चम्बा के उपायुक्त जिला मैजिस्ट्रेट एवं श्री ए.के.पाठक, एनएचपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एनएचपीसी लिमिटेड की ओर से, श्री जय राम ठाकुर, माननीय मुख्यमंत्री, हिमाचल प्रदेश, श्री किशन कपूर, सांसद कांगड़ा व श्री पवन नैय्यर, विधायक चम्बा तथा श्री राम सुभाग सिंह, मुख्य सचिव, हिमाचल प्रदेश की गरिमामयी उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर श्री सुरजीत कुमार संधू, समूह महाप्रबंधक चमेरा-II & III पॉवर स्टेशन भी उपस्थित थे। समझौता ज्ञापन के अनुसार, एनएचपीसी जिला चम्बा (हिमाचल प्रदेश ) में हाइड्रोजन उत्पादन सहित एक पायलट ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी प्रोजेक्ट विकसत करेगा। एनएचपीसी विभिन्न क्षेत्रों जैसे मोबिलिटी परिवहन, हीटिंग, माइक्रो ग्रिड में हिमाचल प्रदेश की हाइड्रोजन जरूरतों की आपूर्ति के लिए वाणिज्यिक पैमाने पर हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ाएगी और बाद में समझौता ज्ञापन पर अलग से हस्ताक्षर किए जाएंगे। यह पायलट परियोजना हरित हाइड्रोजन के भविष्य के विकास और परिवहन क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए रोडमैप तैयार करेगी और हिमाचल प्रदेश के युवाओं के लिए विभिन्न राजस्व क्षेत्रों और रोजगार के अवसरों का निर्माण करते हुए हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में दीर्घकालिक निवेश को भी आकर्षित करेगी। एनएचपीसी ने अक्षय ऊर्जा लघु और हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं के विकास के लिए एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायके कंपनी का गठन किया है जिसका नाम एनएचपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (एनआरईएल) है। यह परियोजना एनएचपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड एनएचपीसी के अनुसंधान एवं विकास विभाग और एनएचपीसी लिमिटेड के चमेरा-II पॉवर स्टेशन द्वारा निष्पादित की जाएगी। कोप-26 में माननीय प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि भारत मे 2070 तक कार्बन न्यूट्रल हो जाएगा और 2030 तक भारत गैर-जीवाश्म ईंधनस्त्रोतों से 500 गीगावॉट उत्पन्न करेगा जो कुल स्थापित क्षमता का 50% होगा और हिमाचल सरकार की इस पहल के तहत हिमाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री और एनएचपीसी का गतिशील नेतृत्व इस मामले में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगा।
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