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चम्बा ! दलित शोषण मुक्ति मंच ने कहा की शिमला के चौड़ा मैदान स्थित अंबेड़कर चौक पर एकत्रित होकर संविधान निर्माता, एससी/एसटी एक्ट की प्रतियां जलाने और वहां से उनकी शवयात्रा निकालने की बात करने वाले संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। सोशल मीडिय़ा पर भी इस तरह के संगठनों से जुड़े लोग लगातार संविधान का अपमान करते हुए एक विशेष वर्ग को निशाना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन संगठनों के कारण प्रदेश में जातीय हिंसा फैल सकती है। उनका यह कदम संविधान निर्माता भी अपमान है। जिस तरह की वह लोग भाषा प्रयोग में ला रहे हैं उससे साफ लगता है कि वह प्रदेश में अशांति फैलाना चाहते हैं। समाज के भाई चारे का खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी इस हरकत से अब प्रदेश के अनुसूचित जाति संगठन भी लामबंद होने लगे हैं। इससे डर है कि प्रदेश में जातीय हिंसा फैल सकती है। हैरानी की बात यह है कि यह असमाजिक तत्व खुलेआम संविधान निर्माता और संविधान का अपमान कर रहे हैं। जबकि देश में संविधान का सर्वोच्च स्थान है। इसके बाद भी प्रशासन और सरकार मूक दर्शक बनी हुई है। जिसे किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि एक विशेष वर्ग दूसरे जाति वर्ग को लगातार निशाना बना रहा है। संविधान और संविधान निर्माता पर गैर जिम्मेदाराना अभद्र भाषा प्रयोग में ला रहा है। ऐसे लोगों के खिलाफ तुरन्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी संगठन को अपनी बात रखने का पूरा हक है, लेकिन उसकी आड़ में किसी जाति विशेष को निशाना बनाना और लोगों को बहकाने का प्रयास करना हिंसा को बढ़ाने वाला कदम है। उन्होंने प्रदेश सरकार और प्रशासन से मांग की कि ऐसे संगठनों के खिलाफ तुरन्त कार्रवाई की जाए। बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिला संयोजक नरेंद्र ने कहा कि 12 दिसंबर को शिमला में हो रहे सेमिनार में सभी दलित संगठन शामिल होंगे और चंबा से भी कार्यकर्ता भाग लेंगे। 6 दिसंबर से 25 दिसंबर तक पूरे प्रदेश में मंच, अभियान चलाएगा। सरकार लगातार दलितों के खिलाफ काम कर रही है। सरकारी क्षेत्र में भी आरक्षित वर्ग के लिए सीट खतम की जा रही हैं। आउटसोर्स और अन्य तरह की भर्तियों में आरक्षित कोटा खतम किया जा रहा है। बैठक में रीझू राम, कुलदीप, खेम राज, राजू, प्रवीन, प्रेम, सुदेश शामिल रहे ।
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