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चम्बा ! चम्बा नगर के लोगो की प्यास बुझाने के लिए अपने प्राणों की बलि देने वाली चम्बा की रानी सुनैयना की याद में मनाए जाने वाले ऐतिहासिक सूही मेले का आज आगाज हुआ। तीन दिनों तक चलने वाले इस मेले का शुभारंभ राज महल में स्थित रानी सुनैयना की प्रतिमा के आगे पूजा अर्चना के साथ हुआ। परंपरा को निभाते हुए चम्बा रियासत की राज कन्या ने यहां सर्वप्रथम पूजा की वहीं प्रशासन की तरफ से नगर परिषद अध्यक्ष नीलम नैय्यर व उपायुक्त चम्बा मुकेश रेपस्वाल के अतिरिक्त अन्य अधिकारियों ने भी यहां पूजा पाठ किया। राजमहल से निकली शोभा यात्रा रानी सुनैयना के मंदिर विश्राम स्थली में जाकर संपन्न हुई। जिसमें होमगार्ड के बैंड के साथ स्थानीय लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। सालों से इस मेले की देखभाल नगर परिषद द्वारा की जा रही है जिसमें उन्होंने ही मेले के समस्त प्रबंध किए हैं। शोभायात्रा में सबसे आगे गद्दी समुदाय की महिलाएं जिन्होंने "घुरेइ" गीत गाकर नृत्य भी पेश किया। आज राजमहल से निकली रानी सुनैयना की पालकी सूही मंदिर जाकर रुकी जहां लोग उनके दर्शन करने पहुंचे। अगले दिन वहां से पालकी में सवार होकर रानी सुनैना का चिन्ह रानी के समाधि स्थल मलूणा नामक स्थान पर जाएगा। जहां पूजा अर्चना के बाद विशाल भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा। वहीं मेले के दौरान शाम के समय जिसे सुकरात कहा जाता है सुकरात के गायन के साथ ही शोभायात्रा वापस राजमहल तक पहुंचेगी तथा मेले का विधिवत समापन होगा। गौरतलब है की रियासत काल से चम्बा नगर में पानी की काफी किल्लत हो गई थी तथा लोगों में पानी के लिए हाहाकर मच गया था। इसी दौरान चम्बा की रानी सुनैयना को रात को स्वप्न हुआ जिसमें उनकी कुलदेवी ने राजघराने के किसी परिवार द्वारा उनके प्राणों की आहुति देने की बात कही तभी चम्बा रियासत में पानी की किल्लत दूर होगी। इसके पश्चात रानी ने स्वप्न राजा को सुनाया तो रानी ने खुद अपने प्राणों की बलि देने की ठानी। रानी ने कहा कि अगर राजा बलिदान देता है तो राजपाठ कौन चलाएगा और अगर बच्चों की बलि दी जाती है तो उनके वंश आगे कैसे बढ़ेगा। यही वजह थी की रानी ने अपनी बलि देने की ठानी तथा चम्बा से मलुणा नामक स्थान पर समाधि ली। इसके बाद यहां जलधारा फूटी तथा आज भी चम्बा के लोग वहां के पानी को प्रयोग में लाते हैं। चम्बा के स्थानीय लोगों के अनुसार रानी सुनैयना के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता तथा उन्ही की याद में हर वर्ष इस मेले का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि 11 से 13 अप्रैल तक यह मेला चलेगा उनके अनुसार इस मेले को चम्बा के लोग बड़े ही हर्सोउल्लास के साथ मनाते हैं। इस मेले में विशेष कर महिलाएं बढ़-कर कर भाग लेती हैं। वहीं मेले की देखरेख का जिम्मा संभाले नगर परिषद अध्यक्ष नीलम नैयर के अनुसार नगर परिषद इस मेले के सफल आयोजन के प्रति कृतिसंकल्प है। हालांकि हालांकि प्रदेश सरकार द्वारा इस मेले को जिला स्तरीय घोषित कर दिया गया है लेकिन इस मेले की नोटिफिकेशन देरी से पहुंचने की वजह से प्रशासन द्वारा इसके आयोजन को और ज्यादा नहीं बढ़ाया गया अगले वर्ष इस मेले को पूरी तरह से जिला स्तरीय तौर पर मनाया जाएगा। वही उपायुक्त चम्बा मुकेश रेपसवाल ने जिला व प्रदेश वासियों को इस मेले की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि रानी सुनैयना की याद में मनाया जाने वाले इस 3 दिन के मेले का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी लोग इस मेले में बढ़-चढ़कर भाग ले। वही इस मेले का संबंध पानी से है यही वजह है कि जल शक्ति विभाग द्वारा मेले में प्रसाद का आयोजन किया जाता है। आईपीएच विभाग के सहायक अभियंता ने बताया कि क्योंकि रानी सुनैयना ने पानी के लिए अपना बलिदान दिया था और पानी जल शक्ति विभाग से संबंधित है तो इसीलिए यहां पर हर साल हलवा और चने का प्रसाद यहां जल शक्ति विभाग द्वारा लगाया जाता है और उन्होंने सभी को मेले की शुभकामनाएं दी।
चम्बा ! चम्बा नगर के लोगो की प्यास बुझाने के लिए अपने प्राणों की बलि देने वाली चम्बा की रानी सुनैयना की याद में मनाए जाने वाले ऐतिहासिक सूही मेले का आज आगाज हुआ। तीन दिनों तक चलने वाले इस मेले का शुभारंभ राज महल में स्थित रानी सुनैयना की प्रतिमा के आगे पूजा अर्चना के साथ हुआ।
परंपरा को निभाते हुए चम्बा रियासत की राज कन्या ने यहां सर्वप्रथम पूजा की वहीं प्रशासन की तरफ से नगर परिषद अध्यक्ष नीलम नैय्यर व उपायुक्त चम्बा मुकेश रेपस्वाल के अतिरिक्त अन्य अधिकारियों ने भी यहां पूजा पाठ किया।
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राजमहल से निकली शोभा यात्रा रानी सुनैयना के मंदिर विश्राम स्थली में जाकर संपन्न हुई। जिसमें होमगार्ड के बैंड के साथ स्थानीय लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। सालों से इस मेले की देखभाल नगर परिषद द्वारा की जा रही है जिसमें उन्होंने ही मेले के समस्त प्रबंध किए हैं।
शोभायात्रा में सबसे आगे गद्दी समुदाय की महिलाएं जिन्होंने "घुरेइ" गीत गाकर नृत्य भी पेश किया। आज राजमहल से निकली रानी सुनैयना की पालकी सूही मंदिर जाकर रुकी जहां लोग उनके दर्शन करने पहुंचे।
अगले दिन वहां से पालकी में सवार होकर रानी सुनैना का चिन्ह रानी के समाधि स्थल मलूणा नामक स्थान पर जाएगा। जहां पूजा अर्चना के बाद विशाल भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा। वहीं मेले के दौरान शाम के समय जिसे सुकरात कहा जाता है सुकरात के गायन के साथ ही शोभायात्रा वापस राजमहल तक पहुंचेगी तथा मेले का विधिवत समापन होगा।
गौरतलब है की रियासत काल से चम्बा नगर में पानी की काफी किल्लत हो गई थी तथा लोगों में पानी के लिए हाहाकर मच गया था। इसी दौरान चम्बा की रानी सुनैयना को रात को स्वप्न हुआ जिसमें उनकी कुलदेवी ने राजघराने के किसी परिवार द्वारा उनके प्राणों की आहुति देने की बात कही तभी चम्बा रियासत में पानी की किल्लत दूर होगी। इसके पश्चात रानी ने स्वप्न राजा को सुनाया तो रानी ने खुद अपने प्राणों की बलि देने की ठानी।
रानी ने कहा कि अगर राजा बलिदान देता है तो राजपाठ कौन चलाएगा और अगर बच्चों की बलि दी जाती है तो उनके वंश आगे कैसे बढ़ेगा। यही वजह थी की रानी ने अपनी बलि देने की ठानी तथा चम्बा से मलुणा नामक स्थान पर समाधि ली। इसके बाद यहां जलधारा फूटी तथा आज भी चम्बा के लोग वहां के पानी को प्रयोग में लाते हैं।
चम्बा के स्थानीय लोगों के अनुसार रानी सुनैयना के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता तथा उन्ही की याद में हर वर्ष इस मेले का आयोजन किया जाता है।
उन्होंने कहा कि 11 से 13 अप्रैल तक यह मेला चलेगा उनके अनुसार इस मेले को चम्बा के लोग बड़े ही हर्सोउल्लास के साथ मनाते हैं। इस मेले में विशेष कर महिलाएं बढ़-कर कर भाग लेती हैं। वहीं मेले की देखरेख का जिम्मा संभाले नगर परिषद अध्यक्ष नीलम नैयर के अनुसार नगर परिषद इस मेले के सफल आयोजन के प्रति कृतिसंकल्प है।
हालांकि हालांकि प्रदेश सरकार द्वारा इस मेले को जिला स्तरीय घोषित कर दिया गया है लेकिन इस मेले की नोटिफिकेशन देरी से पहुंचने की वजह से प्रशासन द्वारा इसके आयोजन को और ज्यादा नहीं बढ़ाया गया अगले वर्ष इस मेले को पूरी तरह से जिला स्तरीय तौर पर मनाया जाएगा।
वही उपायुक्त चम्बा मुकेश रेपसवाल ने जिला व प्रदेश वासियों को इस मेले की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि रानी सुनैयना की याद में मनाया जाने वाले इस 3 दिन के मेले का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी लोग इस मेले में बढ़-चढ़कर भाग ले।
वही इस मेले का संबंध पानी से है यही वजह है कि जल शक्ति विभाग द्वारा मेले में प्रसाद का आयोजन किया जाता है। आईपीएच विभाग के सहायक अभियंता ने बताया कि क्योंकि रानी सुनैयना ने पानी के लिए अपना बलिदान दिया था और पानी जल शक्ति विभाग से संबंधित है तो इसीलिए यहां पर हर साल हलवा और चने का प्रसाद यहां जल शक्ति विभाग द्वारा लगाया जाता है और उन्होंने सभी को मेले की शुभकामनाएं दी।
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