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चम्बा ! वैसे तो लोहड़ी का त्यौहार अपने देश में हर जगह मनाया जाता है लेकिन चम्बा जिला में मनाई जाने वाली लोहड़ी का पारंपरिक महत्व कुछ हटके है। लोहड़ी एक संक्रांति से शुरू होती है तो वहीं इसका समापन ठीक 1 महीने बाद संक्रांति वाले दिन ही होता है। छोटे-छोटे बच्चे एक महीने तक लगातार लोगों के घरों में जाकर लोहडी मांगते हैं और रात में अपने अपने इलाके मे लकड़ी जलाते हैं साथ ही मिष्ठान को लेकर खूब मौज मस्ती करते हैं। हालांकि सरकार द्वारा कोरोना की वजह से बंदिशे लगा दी गई लेकिन उसके बावजूद भी लोग अपनी परंपरा को सादे ढंग से निभाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। मुख्य बाजारों में दुकानों को लोहड़ी के पर्व को लेकर पूरी तरह से सजाया गया है जिसमें रेवड़ियां,खजूर,मुगफली चिड़वे,खड्डे,इतियादी इत्यादि मिष्ठान अपनी दुकानों पर बेच रहे हैं। हालांकि दुकानों पर भीड़ तो नहीं है लेकिन उसके बावजूद भी लोग यह सामान खरीद रहे हैं। चम्बा की लोहड़ी का महत्व एक और भी है चम्बा के राजाओं ने इस पर्व को इसीलिए भी शुरू किया कि जब चम्बा नगर की स्थापना की गई तो इस नगर में भूत-प्रेत आदि अत्यधिक हुआ करते थे। इन्हें भगाने के लिए लोहड़ी की प्रथा को शुरू किया गया था और आज इस प्रथा को इसी तरह से निभाया जा रहा है। इस लोहड़ी के त्यौहार पर एक और परंपरा का निर्वहन आज भी किया जा रहा है हालांकि धीरे-धीरे यह परंपरा लुप्त होती जा रही है लेकिन कुछ 1 घरों में आज भी इसको लोग संजोए हुए हैं। लोहड़ी के दिन लोग अपने बच्चों को मेवे के आभूषण यानी गरी,छुहारे,बदाम दाख, किसमिस इत्यादि सभी चीजों को धागों में पिरो कर बच्चों को इस के आभूषण बनाते हैं जिसको लेकर बच्चे भी काफी खुश होते हैं। यह परंपरा राजस्वी काल से चली आ रही है। इस बारे में जानकारी देते हुए बच्चों ने बताया कि उन्होंने आज लोहड़ी के उपलक्ष पर ड्राई फ्रूट के गहने पहने हुए हैं। उन्होंने बताया कि हमारे घर में यह परंपरा पिछले कई सालों से चली आ रही है और हम लोहड़ी के दिन इस तरह के आभूषण पहनते हैं और उन्हें बहुत खुशी मिलती है। वही घर के मालिक ने बताया कि यह परंपरा उन्होंने अपनी नानी से सीखी है और लोहड़ी के दिन वह सभी अपने परिवार के साथ मिलकर अपने बच्चों के लिए इस तरह के आभूषण बनाते हैं जिसको लेकर बच्चे काफी खुश दिखते हैं। वहीं बाजार में सजी दुकानों पर सामान खरीद रहे लोगों व व्यापारी ने बताया कि लोहड़ी के त्यौहार में हालांकि रौनक नहीं है लेकिन उसके बावजूद भी बाजार में लोग खरीददारी रहे हैं। उन्होंने कहा कि शाम के समय लोग अपने घरों मे आग जलाकर पूजा करेंगे और इन सभी सामग्री को उसमें प्रसाद के रूप में इस्तेमाल करेंगे।
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