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चम्बा ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान में 6 मार्च 2022 को 'कला सृजन पाठशाला' द्वारा अपनी स्थापना पक्ष तिथि जो कि फाल्गुन शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि है, का उत्सव आयोजन सत्र-36 के तहत कोविड-19 की एडवाइजरी का पालन करते हुए गूगल-मीट के माध्यम से मनाया गया । इसउपलक्ष्य पर कविता-पाठ तथा लेख-पाठ का आयोजन किया गया। इस सुअवसर पर कला सृजन पाठशाला के सदस्य , राजकीय महाविद्यालय चम्बा के छात्र तथा दिल्ली, शिमला व चम्पारण के साहित्यिकारों तथा कवियों ने भी भाग लिया। चम्बा के दूरदराज के क्षेत्र से भी रचनाकारों ने सहभागिता की। कार्यक्रम की शुरुआत में कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने कला सृजन पाठशाला की स्थापना पक्ष तिथि का वृत्त सबके समक्ष रखा। इसके बाद भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय पढ़ा तथा उनके काव्य का विश्लेषण भी किया। इसके पश्चात सभी कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओ से सभी को भावविभोर किया। कार्यक्रम की शुरूआत में महाविद्यालय के छात्रा अन्जली ने "टब्बर घटाणा ही पैणा" कविता द्वारा की। इसके बाद सञ्जय कुमार ने भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'गीत फरोश' का पाठ किया। हुगत खन्ना ने 'तब भी और अब भी' कविता के माध्यम से नारी के विभिन्न रूपों को व्याख्यायित किया। हेमराज राज ने 'धीरे-धीरे हो गया' कविता द्वारा मन की भावनाओं को व्यक्त किया। महाराज सिंह परदेशी ने 'माँ पिता जी' कविता द्वारा माता पिता की स्तुति की। डॉ. हरि शर्मा ने समसामयिक घटनाओं पर आधारित ज्ञानवर्धक एवं सारगर्भित लेख पढा। भाषा अध्यापिका एवं कवियत्री रेखा गक्खड़ 'रश्मि' ने 'यूं ही' कविता द्वारा सभी को मंत्रमुग्ध किया। लिल्ह राजकीय कालेज के सहायक आचार्य तथा कला सृजन पाठशाला के प्रचार प्रसार सचिव प्रशांत रमण रवि ने भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'सतपुड़ा के घने जंगल' कविता का पाठ ओजपूर्ण वाणी में किया। सृजन पाठशाला के सलाहकार एवं कवि भूपेंद्र सिंह जसरोटिया ने अपने जाने पहचाने अंदाज मैं रैप, तथा ऐन्चली गायन द्वारा वाहवाही लूटी। दिल्ली से जुडी कवयित्री प्रियंवदा त्यागी ने 'क्या शब्दों को पढ़ा है आपने' कविता द्वारा सामाजिक जीवन को प्रतिबिंबित करते हुए सभी को मन्त्रमुग्ध किया । राजकीय महाविद्यालय चम्बा के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं कला सृजन पाठशाला के महासचिव डॉ सन्तोष ने 'भाषा का विज्ञान' मार्मिक कविता द्वारा वाहवाही लूटी। शरत् शर्मा ने कवि कुमार कृष्ण की कविता 'पगडी के अन्दर आग के पंख' कविता द्वारा आज के समय की दास्तान को बयां किया। आज जिस तरह से रिश्तों की आग बुझ सी गई है उस आग को दोबारा सुलगाने का आह्वान कवियों से किया। स्थापना पक्ष तिथि आयोजन के मौके पर कला सृजन पाठशाला के संरक्षक बाल कृष्ण पराशर ने कला सृजन पाठशाला के आयोजकों तथा जुड़े हुए रचनाकारों को स्थापना पक्ष तिथि उत्सव मनाने के लिए सस्नेह अभिवादन दिया के साथ कहा कि कला सृजन पाठशाला अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु निरन्तर आगे बढ़ रही है। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर संतोष कुमार ने अपनी त्वरित टिप्पणियों के साथ किया तथा कला सृजन पाठशाला की सचिव रेखा गक्खड़ 'रश्मि' ने सभी रचनाकारों की पठित रचनाओं का विस्तार पूर्वक विश्लेषण करते हुए आयोजन को समापन की ओर अग्रसर किया।
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