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चम्बा ! एन.एच.पी.सी. व बिहार राज्य हाइड्रोइलैक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बी.एस.एच.पी.सी.) के बीच 130.1 मैगावाट की डागमारा जलविद्युत परियोजना, जिला सुपौल, बिहार के कार्यान्वयन के लिए एक समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) पर वीडियो कॉफ्रैंसिंग के माध्यम से हस्ताक्षर किए गए हैं। राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विद्युत आर.के. सिंह, और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा व राज्य कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री व ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव बिहार सरकार की गरिमामय उपस्थिति में हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए और इसका आदान-प्रदान किया गया। इस समझौता ज्ञापन पर एन.एच.पी.सी. की ओर से बिश्वजीत बासु, निदेशक (परियोजनाएं), एन.एच.पी.सी. द्वारा जबकि बिहार सरकार की ओर से आलोक कुमार, प्रबंध निदेशक, बी.एस.एच.पी.सी. ने इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। भारत सरकार विद्युत सचिव आलोक कुमार, बिहार सरकार (ऊर्जा) सचिव संजीव हंस, एम.ओ.पी (हाइड्रो) संयुक्त सचिव तन्मय कुमार और एन.एच.पी.सी. के सी.एम.डी. ए.के. सिंह, निदेशक (कार्मिक),एन.के. जैन, निदेशक (तकनीकी) वाई.के. चौबे, निदेशक (वित्त) आर.पी. गोयल, निदेशक (परियोजनाएं) बिश्वजीत बासु और सी.वी.ओ. ए.के. श्रीवास्तव भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इस अवसर पर आर.के. सिंह, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विद्युत और नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा एवं राज्य कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री, भारत सरकार ने परियोजना को शुरू करने में त्वरित प्रतिक्रिया व सहयोग के लिए एन.एच.पी.सी. को धन्यवाद दिया। जो जलविद्युत के विकास के अपने उद्देश्य के प्रति उनकी गहरी उत्सुकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की पृष्ठभूमि में और भविष्य की पीढ़ी के लिए जीवाश्म से गैर-जीवाश्म ईंधन में परिवर्तन के उद्देश्य को पूरा करने में जल विद्युत बहुत महत्वपूर्ण है। अपने संबोधन में बिजेंद्र प्रसाद यादव, ऊर्जा मंत्री, बिहार सरकार ने डागमारा परियोजना के कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार की ओर से विद्युत मंत्रालय और एन.एचपी.सी. को अपना आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह परियोजना राज्य में चहुंमुखी प्रगति और विकास लाएगी। एन.एच.पी.सी. के सी.एम.डी. ए.के. सिंह ने बताया कि डागमारा जलविद्युत परियोजना बिहार के विद्युत क्षेत्र के परिदृश्य में एक ऐतिहासिक परियोजना होगी। जहां तक हरित ऊर्जा का संबंध है। उन्होंने बताया कि स्वच्छ और हरित बिजली पैदा करने के अलावा, इसके निष्पादन से क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा। 130.1 मैगावाट की डागमारा जलविद्युत परियोजना, बिहार की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना, एन.एच.पी.सी. द्वारा स्वामित्व के आधार पर कार्यान्वित की जाएगी है। एन.एच.पी.सी. विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार के तहत जलविद्युत के क्षेत्र में भारत की एक श्रेणी-ए मिनीरत्न कंपनी है। वर्तमान में, एन.एच.पी.सी. के पास 24 संचालित विद्युत स्टेशन हैं, जिनकी कुल संस्थापित क्षमता 7071 मैगावाट है। एन.एच.पी.सी. पारंपरिक व गैर-पारंपरिक स्रोतों के माध्यम से विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में एक प्रमुख कंपनी के रूप में उभरी है।
चम्बा ! एन.एच.पी.सी. व बिहार राज्य हाइड्रोइलैक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बी.एस.एच.पी.सी.) के बीच 130.1 मैगावाट की डागमारा जलविद्युत परियोजना, जिला सुपौल, बिहार के कार्यान्वयन के लिए एक समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) पर वीडियो कॉफ्रैंसिंग के माध्यम से हस्ताक्षर किए गए हैं। राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विद्युत आर.के. सिंह, और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा व राज्य कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री व ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव बिहार सरकार की गरिमामय उपस्थिति में हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए और इसका आदान-प्रदान किया गया।
इस समझौता ज्ञापन पर एन.एच.पी.सी. की ओर से बिश्वजीत बासु, निदेशक (परियोजनाएं), एन.एच.पी.सी. द्वारा जबकि बिहार सरकार की ओर से आलोक कुमार, प्रबंध निदेशक, बी.एस.एच.पी.सी. ने इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। भारत सरकार विद्युत सचिव आलोक कुमार, बिहार सरकार (ऊर्जा) सचिव संजीव हंस, एम.ओ.पी (हाइड्रो) संयुक्त सचिव तन्मय कुमार और एन.एच.पी.सी. के सी.एम.डी. ए.के. सिंह, निदेशक (कार्मिक),एन.के. जैन, निदेशक (तकनीकी) वाई.के. चौबे, निदेशक (वित्त) आर.पी. गोयल, निदेशक (परियोजनाएं) बिश्वजीत बासु और सी.वी.ओ. ए.के. श्रीवास्तव भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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इस अवसर पर आर.के. सिंह, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विद्युत और नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा एवं राज्य कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री, भारत सरकार ने परियोजना को शुरू करने में त्वरित प्रतिक्रिया व सहयोग के लिए एन.एच.पी.सी. को धन्यवाद दिया। जो जलविद्युत के विकास के अपने उद्देश्य के प्रति उनकी गहरी उत्सुकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की पृष्ठभूमि में और भविष्य की पीढ़ी के लिए जीवाश्म से गैर-जीवाश्म ईंधन में परिवर्तन के उद्देश्य को पूरा करने में जल विद्युत बहुत महत्वपूर्ण है। अपने संबोधन में बिजेंद्र प्रसाद यादव, ऊर्जा मंत्री, बिहार सरकार ने डागमारा परियोजना के कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार की ओर से विद्युत मंत्रालय और एन.एचपी.सी. को अपना आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह परियोजना राज्य में चहुंमुखी प्रगति और विकास लाएगी। एन.एच.पी.सी. के सी.एम.डी. ए.के. सिंह ने बताया कि डागमारा जलविद्युत परियोजना बिहार के विद्युत क्षेत्र के परिदृश्य में एक ऐतिहासिक परियोजना होगी। जहां तक हरित ऊर्जा का संबंध है।
उन्होंने बताया कि स्वच्छ और हरित बिजली पैदा करने के अलावा, इसके निष्पादन से क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा। 130.1 मैगावाट की डागमारा जलविद्युत परियोजना, बिहार की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना, एन.एच.पी.सी. द्वारा स्वामित्व के आधार पर कार्यान्वित की जाएगी है। एन.एच.पी.सी. विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार के तहत जलविद्युत के क्षेत्र में भारत की एक श्रेणी-ए मिनीरत्न कंपनी है। वर्तमान में, एन.एच.पी.सी. के पास 24 संचालित विद्युत स्टेशन हैं, जिनकी कुल संस्थापित क्षमता 7071 मैगावाट है। एन.एच.पी.सी. पारंपरिक व गैर-पारंपरिक स्रोतों के माध्यम से विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में एक प्रमुख कंपनी के रूप में उभरी है।
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