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चम्बा ! वैसे तो प्रदेश सरकार बड़े बड़े दावे करती नहीं थकती है कि हम अपने प्रदेश के हर गांव को सड़क से जोड़ देंगे पर आज हम आपको कुछ एक ऐसे गांव की तस्वीरे दिखाने जा रहे है जिनको देखने के बाद सरकार के झूठे दावों की पोल जरूर खुल जायेगी। जी हां आज हम आपको जनजातीय क्षेत्र भरमौर के दायरे में आने वाली ग्राम पंचायत बलोठ से लेकर अल्हमी गांव तक जाने वाली करीब 25,किलोमीटर तक की ऐसी तस्वीरें दिखाएंगे जिसको देखने के बाद किसी की भी रूह कांप उठेगी। बताते चले कि करीब तीन पंचायतों को जोड़ने वाली बलोठ पंचायत से लेकर अल्हमी तक इस नाले में कई ऊंची पहाड़ियां तो है ही वहीं वहां तक पहुंचने के लिए हरेक व्यक्ति को कम से कम एक दर्जन से भी ऊपर इन भयंकर नालों को पार करना पड़ता है। आपको यह जानकर भी हैरानी होगी की जिस नाले की यह तस्वीर हम अपने दर्शकों को दिखा रहे है वह तस्वीरे बिलकुल सही है और इन पुलियों को वहां के स्थानीय ग्रामीण लोगो ने खुद अपने हाथों से बनाया हुआ है। आपको यह भी बता दे कि ग्रामीणों द्वारा बड़े बड़े पेड़ों से बनाई गई नाले के ऊपर हैंडमेड लकड़ी की पुलियों जिसको की हम ग्रामीण लोग (तरंगडी) के नाम से जानते है आज भी करीब तीन पंचायत के लोगों के साथ दो मिडिल स्कूल और चार प्राइमरी स्कूल के अबोध बच्चे रोजाना इसी नाले में बनी तरंगडियों को पार कर अपनी पढ़ाई करने को जाते है। पीठ पे मासूम बच्चे को उठाये एक माँ और उसी के साथ कुछ युवा और बुजुर्ग हाथ पकड़ पकड़ कर रोजाना इसी रास्ते से होकर अपने गांव को जाते है। और लकड़ी के बड़े पेड़ों से बनाई गई हैंड मेड इन पुलियों से अगर किसी का पांव फिसला तो बचना मुश्किल समझो। यहां इस पंचायत के प्रतिनिधियों के साथ अल्हमी पंचायत के लोग पिछले 44,वर्षो से अपने गांव के लिए सड़क सुविधा की मांग कर रहे है,किसी ने इनकी पुकार नहीं सुनी। बलोठ पंचायत के प्रधान ने राजनीति करने वाले सभी लोगों पर इन पंचायतो की अनदेखी करने का आरोप जड़ते हुए कहा कि केवल वोट लेने की खातिर राजनेता लोग इन भोले भाले गांव के लोगों को झूठे आश्वासन देकर राजनीति तो जरूर कर लेते पर सबसे पिछड़े इस इलाके की सुध किसी ने भी नहीं ली है। उन्होंने कहा कि आज भी करीब तीन पंचायत के लोगों के साथ दो मिडिल स्कूल और चार प्राइमरी स्कूल के अबोध बच्चे रोजाना इसी नाले में बनी तरंगडीयो को पार कर अपनी पढ़ाई करने को जाते है। उन्होंने यह भी बताया कि जब बरसात आती है तो नाले जो है भयंकर रूप धारण कर लेते है और यह हैंडमेड पुलिया तिनको के सामान इन नालों में बह जाती है। मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज को प्रदेश के मुख्यमंत्री तक पहुँचाने का प्रयास करते हुए बलोठ पंचायत के प्रधान देव राज ने कहा कि इस क्षेत्र में बहुत राजनीती हुई है पर विकास नहीं हुआ है। उन्होंने प्रदेश मुख्यमंत्री से अपने क्षेत्र के लिए 2022,से पहले यंहा बनने वाली सड़क का सर्वे के साथबसड़क का कार्य युद स्तर पर करवाया जाये। साथ ही उन्होंने विभाग पर भी अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग इस बात को यह कहकर टाल मटोल कर जाता है कि यहां की जनसंख्या कम है। जबकि इस क्षेत्र में दो मिडिल स्कुल और चार प्राइमरी स्कुल इन पंचायतों में चल रहे है तो भला यंहा की जनसंख्या कैसे कम हो सकती है।
चम्बा ! वैसे तो प्रदेश सरकार बड़े बड़े दावे करती नहीं थकती है कि हम अपने प्रदेश के हर गांव को सड़क से जोड़ देंगे पर आज हम आपको कुछ एक ऐसे गांव की तस्वीरे दिखाने जा रहे है जिनको देखने के बाद सरकार के झूठे दावों की पोल जरूर खुल जायेगी। जी हां आज हम आपको जनजातीय क्षेत्र भरमौर के दायरे में आने वाली ग्राम पंचायत बलोठ से लेकर अल्हमी गांव तक जाने वाली करीब 25,किलोमीटर तक की ऐसी तस्वीरें दिखाएंगे जिसको देखने के बाद किसी की भी रूह कांप उठेगी। बताते चले कि करीब तीन पंचायतों को जोड़ने वाली बलोठ पंचायत से लेकर अल्हमी तक इस नाले में कई ऊंची पहाड़ियां तो है ही वहीं वहां तक पहुंचने के लिए हरेक व्यक्ति को कम से कम एक दर्जन से भी ऊपर इन भयंकर नालों को पार करना पड़ता है।
आपको यह जानकर भी हैरानी होगी की जिस नाले की यह तस्वीर हम अपने दर्शकों को दिखा रहे है वह तस्वीरे बिलकुल सही है और इन पुलियों को वहां के स्थानीय ग्रामीण लोगो ने खुद अपने हाथों से बनाया हुआ है। आपको यह भी बता दे कि ग्रामीणों द्वारा बड़े बड़े पेड़ों से बनाई गई नाले के ऊपर हैंडमेड लकड़ी की पुलियों जिसको की हम ग्रामीण लोग (तरंगडी) के नाम से जानते है आज भी करीब तीन पंचायत के लोगों के साथ दो मिडिल स्कूल और चार प्राइमरी स्कूल के अबोध बच्चे रोजाना इसी नाले में बनी तरंगडियों को पार कर अपनी पढ़ाई करने को जाते है।
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पीठ पे मासूम बच्चे को उठाये एक माँ और उसी के साथ कुछ युवा और बुजुर्ग हाथ पकड़ पकड़ कर रोजाना इसी रास्ते से होकर अपने गांव को जाते है। और लकड़ी के बड़े पेड़ों से बनाई गई हैंड मेड इन पुलियों से अगर किसी का पांव फिसला तो बचना मुश्किल समझो। यहां इस पंचायत के प्रतिनिधियों के साथ अल्हमी पंचायत के लोग पिछले 44,वर्षो से अपने गांव के लिए सड़क सुविधा की मांग कर रहे है,किसी ने इनकी पुकार नहीं सुनी।
बलोठ पंचायत के प्रधान ने राजनीति करने वाले सभी लोगों पर इन पंचायतो की अनदेखी करने का आरोप जड़ते हुए कहा कि केवल वोट लेने की खातिर राजनेता लोग इन भोले भाले गांव के लोगों को झूठे आश्वासन देकर राजनीति तो जरूर कर लेते पर सबसे पिछड़े इस इलाके की सुध किसी ने भी नहीं ली है। उन्होंने कहा कि आज भी करीब तीन पंचायत के लोगों के साथ दो मिडिल स्कूल और चार प्राइमरी स्कूल के अबोध बच्चे रोजाना इसी नाले में बनी तरंगडीयो को पार कर अपनी पढ़ाई करने को जाते है।
उन्होंने यह भी बताया कि जब बरसात आती है तो नाले जो है भयंकर रूप धारण कर लेते है और यह हैंडमेड पुलिया तिनको के सामान इन नालों में बह जाती है। मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज को प्रदेश के मुख्यमंत्री तक पहुँचाने का प्रयास करते हुए बलोठ पंचायत के प्रधान देव राज ने कहा कि इस क्षेत्र में बहुत राजनीती हुई है पर विकास नहीं हुआ है। उन्होंने प्रदेश मुख्यमंत्री से अपने क्षेत्र के लिए 2022,से पहले यंहा बनने वाली सड़क का सर्वे के साथबसड़क का कार्य युद स्तर पर करवाया जाये।
साथ ही उन्होंने विभाग पर भी अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग इस बात को यह कहकर टाल मटोल कर जाता है कि यहां की जनसंख्या कम है। जबकि इस क्षेत्र में दो मिडिल स्कुल और चार प्राइमरी स्कुल इन पंचायतों में चल रहे है तो भला यंहा की जनसंख्या कैसे कम हो सकती है।
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