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चम्बा ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ )न्यास के तत्वधान में 31 अक्टूबर 2021 को 'कला सृजन पाठशाला' द्वारा आचार्य रामचंद्र शुक्ल की जयन्ती के उपलक्ष्य पर कविता-पाठ तथा लेख-पाठ का सत्र-32 आयोजन किया। इस अवसर पर कला सृजन पाठशाला के सदस्यों के साथ-साथ राजकीय महाविद्यालय चम्बा के छात्रों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत में पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल के जीवन परिचय से अवगत करवाया तथा उनके साहित्य का विश्लेषण भी किया । इसके पश्चात सभी कवियों ने अपनी अपनी रचनाओं से सभी को भावविभोर किया । कार्यक्रम की शुरूआत संजय की कविता 'जिंदगी' द्वारा हुई। संजय ने अपनी कविता द्वारा जिंदगी के खूबसूरत एहसासों का वर्णन किया तथा रामचन्द्र शुक्ल के गौरव ग्रन्थ हिन्दी साहित्य के इतिहास को अमर कृति कहा। अमर देई ने अपनी कविता में सच पर अडिग रहने की बात कही । भाषा अध्यापक व कवि राकेश ठाकुर ने 'कोरोना महामारी' तथा 'दौर' कविता द्वारा श्रोताओं का मन मोह लिया। उन्होंने वियोग श्रृंगार द्वारा सभी को मंत्रमुग्ध किया । दर्शना ने 'कटोरे में सारा जहां' नामक अत्यंत मार्मिक कविता पेश की, जिसकी श्रोताओं ने भूरी भूरी प्रशंसा की। कवि हेमराज ने ' उगा हुआ देखा है इस बार उगा कर देखते हैं' कविता द्वारा जिंदगी को जिंदादिली से जीने का संदेश दिया। हुगत खन्ना ने 'संवाद होना चाहिए' कविता द्वारा जिंदगी में संवाद के महत्व को उजागर किया। पाठशाला के वरिष्ठ कवि भूपेंद्र जसरोटिया ने 'मेरे जलने पर क्यों बरस गए हो तुम' ग़ज़ल गाकर सभी को मंत्रमुग्ध किया, उन्होंने 'जब तू मैं हो जाता हूं ' कविता द्वारा आत्मा और परमात्मा के तादात्म्य का संदेश दिया। पाठशाला के महासचिव डॉ. संतोष कुमार ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबंधो का जिक्र अपने लेख में किया । पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने 'उजरत भरा हाथ' तथा 'मां' लघु कविताओं द्वारा अर्थ पूर्ण संदेश देकर गागर में सागर भर दिया । पाठशाला के वित्त सलाहकार धर्मवीर शर्मा ने सृजन क्षेत्र में रोचक प्रसंगों को लाने की प्रेरणा के साथ आयोजन को ऑफ लाइन करने का सन्देश दिया। इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन राजकीय महाविद्यालय चम्बा के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार द्वारा किया गया। उन्होंने अपनी त्वरित टिप्पणियों द्वारा सभी कवियों और विद्वानों का हौंसला अफजाई की। कला सृजन पाठशाला के संरक्षक बालकृष्ण पराशर ने अपने संदेश में कहा कि मानव जीवन के पर्यावरण को साहित्य सृजन अवश्य खूबसूरत और सेहतमंद बनाएगा। पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने सभी उपस्थित सदस्यों का धन्यवाद करते हुए समापन वक्तव्य में कहा कि चम्बा जैसे पिछड़े क्षेत्र में साहित्य सृजन में सहभगिता को बढ़ाने की आवश्यकता है, जिसके लिए कला सृजन पाठशाला प्रयासरत्त है।
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