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चम्बा , 15 अप्रैल [ शिवानी ] ! देवी देवताओं की धरती जिला चम्बा में आए दिन कोई न कोई मेला या फिर त्योहार साल भर होते ही रहते है पर इनमे कुछ एक मेले या फिर कुछ एक त्योहार ऐसे है जिनका सरोताज इंसानों से खूब मिलता जुलता दिखाई देता है। आज हम बात करेंगे ऐसी दो देवियों की जो हर साल आपस में एक दूसरे से मिलती है। हम बात कर रहे है मां बैरावाली की जो हर वर्ष इसी महीने अपनी बड़ी बहन चामुंडा मां से मिलने सैकड़ों किलोमीटर दूर चम्बा आया करती है। आपको बता दे कि मां बैरावाली भगवती अपने देवीय स्थान बैरागढ़ मंदिर से निकल पड़ी है। इनके भक्त और पुजारी माता बैरावाली भगवती को अपने कंधे पर उठाकर चल पड़ते है। ढोल नगाड़ों और बांसुरी की धुन को लगातार बजाते उनके श्रद्धालु करीब 100,किलोमीटर का लंबा सफर पैदल करके चम्बा मुख्यालय में स्तिथ मां चामुण्डा के मंदिर में लाते है और ठीक 15,दिनों तक मां चामुण्डा और बैरावाली भगवती एक साथ मंदिर में रहती है जिनकी सुबह शाम पूजा अर्चना भी एक साथ की जाती है। आपको बता दे कि चम्बा में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं होगा जोकि इन दोनों जागती जोत स्वरूप माता के दर्शन को करने नहीं आता हो। इतना ही नहीं कई श्रद्धालु तो माता बैरावाली भगवती को अपने घर आने का न्योता तक देते है और मां उनके घर भी जाती है।
चम्बा , 15 अप्रैल [ शिवानी ] ! देवी देवताओं की धरती जिला चम्बा में आए दिन कोई न कोई मेला या फिर त्योहार साल भर होते ही रहते है पर इनमे कुछ एक मेले या फिर कुछ एक त्योहार ऐसे है जिनका सरोताज इंसानों से खूब मिलता जुलता दिखाई देता है।
आज हम बात करेंगे ऐसी दो देवियों की जो हर साल आपस में एक दूसरे से मिलती है। हम बात कर रहे है मां बैरावाली की जो हर वर्ष इसी महीने अपनी बड़ी बहन चामुंडा मां से मिलने सैकड़ों किलोमीटर दूर चम्बा आया करती है।
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आपको बता दे कि मां बैरावाली भगवती अपने देवीय स्थान बैरागढ़ मंदिर से निकल पड़ी है। इनके भक्त और पुजारी माता बैरावाली भगवती को अपने कंधे पर उठाकर चल पड़ते है। ढोल नगाड़ों और बांसुरी की धुन को लगातार बजाते उनके श्रद्धालु करीब 100,किलोमीटर का लंबा सफर पैदल करके चम्बा मुख्यालय में स्तिथ मां चामुण्डा के मंदिर में लाते है और ठीक 15,दिनों तक मां चामुण्डा और बैरावाली भगवती एक साथ मंदिर में रहती है जिनकी सुबह शाम पूजा अर्चना भी एक साथ की जाती है।
आपको बता दे कि चम्बा में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं होगा जोकि इन दोनों जागती जोत स्वरूप माता के दर्शन को करने नहीं आता हो। इतना ही नहीं कई श्रद्धालु तो माता बैरावाली भगवती को अपने घर आने का न्योता तक देते है और मां उनके घर भी जाती है।
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