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कुल्लू , 06 नवंबर ! जिला कुल्लू में बिजली उत्पादन के क्षेत्र में काम कर रही पार्वती परियोजना चरण 2 की हेड रेस टनल यह दोनों छोर आखिरकार मिल गए। 21 साल के लंबे इंतजार के बाद करीब 32 किलोमीटर हेड रेस टनल के दोनों छोर को आपस में जोड़ने से अब परियोजना के इंजीनियरों ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वही यह हेड रेस टनल विश्व की सबसे लंबी टनल बताई जा रही है। जिसकी खुदाई टनल बोरिंग मशीन के माध्यम से की गई। यह एड्रेस टनल 6 मीटर चौड़ी और करीब 31 किलोमीटर लंबी है। ऐसे में अब इस हेड रेस टनल का बाकी बचा हुआ कार्य भी 1 साल के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। ताकि इस हेड रेस टनल के माध्यम से बरशेनी से पार्वती नदी का पानी सैंज घाटी के सिउण्ड तक पहुंचाया जा सके और यहां पर 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सके। साल 2002 में मणिकर्ण घाटी के पूलगा से इस हेड रेस टनल टनल का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। लेकिन बीच में कई बाधाओं का भी परियोजना प्रबंधन को सामना करना पड़ा। जिसके चलते इसके निर्माण कार्य में भी काफी देरी हुई है। यहां पर टनल निर्माण के दौरान पहाड़ी से पानी आने के चलते भी करीब 4 सालों तक इसका निर्माण कार्य बंद रहा। परियोजना के इंजीनियरों के लिए भी बर्फीली पहाड़ी के भीतर इस हेड रेस टनल के दोनों छोरो को एकदम सटीक में ले जाना कड़ी चुनौती था। लेकिन सभी कर्मचारियों की मेहनत के चलते अब इसे हासिल कर लिया गया है। बरशेनी की बर्फीली पहाड़ियों को खोद कर इस टनल के दोनों छोर को मिलाने का कार्य अब पूरा कर लिया गया है और सितंबर 2024 में इसे पूरी तरह से चलाए जाने की प्रक्रिया को भी पूरा किया जा रहा है। वही परियोजना प्रबंधन के अनुसार टीबीएम के माध्यम से सबसे लंबी टनल की खुदाई का यह विश्व कीर्तिमान भी स्थापित हुआ है। हेड रेस टनल के दोनों छोर मिलने के बाद बरशेनी में 83.7 मीटर ऊंचे कंक्रीट ग्रेविटी बांध को तैयार किया जा रहा है। 130 मीटर ऊंची और 17 मीटर चौड़ी औरिफिस प्रकार की सर्ज शाफ्ट का काम भी अंतिम पड़ाव पर है। इसके अलावा 3.5 मीटर चौड़ी लंबी प्रेशर सॉफ्ट भी बनाई गई है तथा 60 मीटर लंबे और साढ़े 5 मीटर चौड़ी 4 टेल रेस टनल को भी अंतिम स्वरूप दिया जा रहा है। इस परियोजना का शिलान्यास साल 1999 में सैंज में स्व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के द्वारा किया गया था। पार्वती परियोजना जिला कुल्लू के तीन इलाके पार्वती, गड़सा और सैंज में स्थित है और यह हिमाचल की सबसे बड़ी परियोजना है। इस परियोजना निर्माण पर 10 हजार करोड रुपए से अधिक की लागत का अनुमान है और ऐसे 2 चरणों में पूरा किया जाना है। पार्वती परियोजना के पहले चरण में अभी 800 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। वही सबसे पहले पार्वती परियोजना के एक चरण का कार्य पूरा हो चुका है और यहां पर 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जा रहा है। वहीं अब हेड रेस टनल का कार्य पूरा होने के बाद दूसरे चरण का कार्य भी पूरा हो जाएगा तथा यहां पर 1500 मेगावाट से अधिक की बिजली का उत्पादन होगा। जिस से देश के कई राज्यों को बिजली मिलेगी। गौर है कि पार्वती जल विद्युत परियोजना के द्वारा मणिकर्ण घाटी के पुलगा से पार्वती नदी का पानी हेड रेस टनल के माध्यम से सैंज घाटी के सिउंड में पहुंचाया जाएगा। सिउंड में पार्वती परियोजना का विद्युत उत्पादन एरिया बनाया गया है। जहां पर पार्वती नदी का पानी पहुंचने से विद्युत उत्पादन का कार्य 1500 मेगा वाट पहुंच जाएगा। 1500 मेगावाट बिजली का उत्पादन होने से देश के राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा सहित कई अन्य राज्यों को भी बिजली मिलेगी। बॉक्स वही एनएचपीसी के कार्यपालक निदेशक निर्मल सिंह ने बताया कि हेड रेस टनल की खुदाई का काम पूरा कर लिया गया और सितंबर माह तक इसका बाकी बचा हुआ कार्य भी शुरू किया जाएगा। 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन यहां पर किया जाएगा और 13 प्रतिशत बिजली हिमाचल प्रदेश को दी जाएगी।
कुल्लू , 06 नवंबर ! जिला कुल्लू में बिजली उत्पादन के क्षेत्र में काम कर रही पार्वती परियोजना चरण 2 की हेड रेस टनल यह दोनों छोर आखिरकार मिल गए। 21 साल के लंबे इंतजार के बाद करीब 32 किलोमीटर हेड रेस टनल के दोनों छोर को आपस में जोड़ने से अब परियोजना के इंजीनियरों ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
वही यह हेड रेस टनल विश्व की सबसे लंबी टनल बताई जा रही है। जिसकी खुदाई टनल बोरिंग मशीन के माध्यम से की गई। यह एड्रेस टनल 6 मीटर चौड़ी और करीब 31 किलोमीटर लंबी है।
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ऐसे में अब इस हेड रेस टनल का बाकी बचा हुआ कार्य भी 1 साल के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। ताकि इस हेड रेस टनल के माध्यम से बरशेनी से पार्वती नदी का पानी सैंज घाटी के सिउण्ड तक पहुंचाया जा सके और यहां पर 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सके।
साल 2002 में मणिकर्ण घाटी के पूलगा से इस हेड रेस टनल टनल का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। लेकिन बीच में कई बाधाओं का भी परियोजना प्रबंधन को सामना करना पड़ा। जिसके चलते इसके निर्माण कार्य में भी काफी देरी हुई है।
यहां पर टनल निर्माण के दौरान पहाड़ी से पानी आने के चलते भी करीब 4 सालों तक इसका निर्माण कार्य बंद रहा। परियोजना के इंजीनियरों के लिए भी बर्फीली पहाड़ी के भीतर इस हेड रेस टनल के दोनों छोरो को एकदम सटीक में ले जाना कड़ी चुनौती था। लेकिन सभी कर्मचारियों की मेहनत के चलते अब इसे हासिल कर लिया गया है।
बरशेनी की बर्फीली पहाड़ियों को खोद कर इस टनल के दोनों छोर को मिलाने का कार्य अब पूरा कर लिया गया है और सितंबर 2024 में इसे पूरी तरह से चलाए जाने की प्रक्रिया को भी पूरा किया जा रहा है। वही परियोजना प्रबंधन के अनुसार टीबीएम के माध्यम से सबसे लंबी टनल की खुदाई का यह विश्व कीर्तिमान भी स्थापित हुआ है।
हेड रेस टनल के दोनों छोर मिलने के बाद बरशेनी में 83.7 मीटर ऊंचे कंक्रीट ग्रेविटी बांध को तैयार किया जा रहा है। 130 मीटर ऊंची और 17 मीटर चौड़ी औरिफिस प्रकार की सर्ज शाफ्ट का काम भी अंतिम पड़ाव पर है। इसके अलावा 3.5 मीटर चौड़ी लंबी प्रेशर सॉफ्ट भी बनाई गई है तथा 60 मीटर लंबे और साढ़े 5 मीटर चौड़ी 4 टेल रेस टनल को भी अंतिम स्वरूप दिया जा रहा है।
इस परियोजना का शिलान्यास साल 1999 में सैंज में स्व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के द्वारा किया गया था। पार्वती परियोजना जिला कुल्लू के तीन इलाके पार्वती, गड़सा और सैंज में स्थित है और यह हिमाचल की सबसे बड़ी परियोजना है।
इस परियोजना निर्माण पर 10 हजार करोड रुपए से अधिक की लागत का अनुमान है और ऐसे 2 चरणों में पूरा किया जाना है। पार्वती परियोजना के पहले चरण में अभी 800 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। वही सबसे पहले पार्वती परियोजना के एक चरण का कार्य पूरा हो चुका है और यहां पर 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जा रहा है।
वहीं अब हेड रेस टनल का कार्य पूरा होने के बाद दूसरे चरण का कार्य भी पूरा हो जाएगा तथा यहां पर 1500 मेगावाट से अधिक की बिजली का उत्पादन होगा। जिस से देश के कई राज्यों को बिजली मिलेगी। गौर है कि पार्वती जल विद्युत परियोजना के द्वारा मणिकर्ण घाटी के पुलगा से पार्वती नदी का पानी हेड रेस टनल के माध्यम से सैंज घाटी के सिउंड में पहुंचाया जाएगा।
सिउंड में पार्वती परियोजना का विद्युत उत्पादन एरिया बनाया गया है। जहां पर पार्वती नदी का पानी पहुंचने से विद्युत उत्पादन का कार्य 1500 मेगा वाट पहुंच जाएगा। 1500 मेगावाट बिजली का उत्पादन होने से देश के राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा सहित कई अन्य राज्यों को भी बिजली मिलेगी।
बॉक्स वही एनएचपीसी के कार्यपालक निदेशक निर्मल सिंह ने बताया कि हेड रेस टनल की खुदाई का काम पूरा कर लिया गया और सितंबर माह तक इसका बाकी बचा हुआ कार्य भी शुरू किया जाएगा। 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन यहां पर किया जाएगा और 13 प्रतिशत बिजली हिमाचल प्रदेश को दी जाएगी।
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