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कुल्लू , 30 जनवरी ! जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर में कांग्रेस कार्यालय में कुल्लू कांग्रेस कमेटी के द्वारा स्वर्गीय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान कुल्लू कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हिम सिंह ठाकुर सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे। तो वही श्रद्धांजलि देते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शपथ ली कि वह गांधी जी के विचारों पर चलकर देश को मजबूत करने की दिशा में कार्य करेंगे। कुल्लू कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हिम ठाकुर ने कहा कि गांधीजी का नाम आते ही जेहन में अहिंसा वादी सोच आने लगती है। जबकि उनकी इसी सोच ने देश को आजादी दिलाने में बहुत बड़ा योगदान दिया था। हालांकि देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई के कुछ ही महीनों (30 जनवरी 1948 ) बाद बापू की हत्या हो गई थी। हिम सिंह ने बताया कि शाम की प्रार्थना के बाद बिरला हाउस में नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को गोली मार दी थी। बापू के निधन के बाद मध्य प्रदेश के जबलपुर में मां नर्मदा के पावन तट तिलवारा घाट पर उनकी अस्थियां विसर्जित की गई थीं। साथ ही उनकी अंतिम यादों को संजोए रखने के लिए श्रद्धांजलि स्वरूप उस घाट के पास गांधी स्मारक बनवाया गया था। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
कुल्लू , 30 जनवरी ! जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर में कांग्रेस कार्यालय में कुल्लू कांग्रेस कमेटी के द्वारा स्वर्गीय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान कुल्लू कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हिम सिंह ठाकुर सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे। तो वही श्रद्धांजलि देते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शपथ ली कि वह गांधी जी के विचारों पर चलकर देश को मजबूत करने की दिशा में कार्य करेंगे। कुल्लू कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हिम ठाकुर ने कहा कि गांधीजी का नाम आते ही जेहन में अहिंसा वादी सोच आने लगती है। जबकि उनकी इसी सोच ने देश को आजादी दिलाने में बहुत बड़ा योगदान दिया था।
हालांकि देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई के कुछ ही महीनों (30 जनवरी 1948 ) बाद बापू की हत्या हो गई थी। हिम सिंह ने बताया कि शाम की प्रार्थना के बाद बिरला हाउस में नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को गोली मार दी थी। बापू के निधन के बाद मध्य प्रदेश के जबलपुर में मां नर्मदा के पावन तट तिलवारा घाट पर उनकी अस्थियां विसर्जित की गई थीं। साथ ही उनकी अंतिम यादों को संजोए रखने के लिए श्रद्धांजलि स्वरूप उस घाट के पास गांधी स्मारक बनवाया गया था।
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