- विज्ञापन (Article Top Ad) -
कुल्लू ,14 जनवरी ! जिला कुल्लू में माघ संक्रांति के पर्व पर बच्चों ने घर घर जा कर जौ की जूब दे कर आर्शिवाद लिया और लोग अखरोट मिठाइयां रेवड़ी, मुंगफली आदि चीजें बच्चों को दिए। सात दिनों तक पारंपरिक तरीका से मकर सक्रांति का त्यौहार मनाया जाएगा। घाटी में इस त्यौहार का दिन भर जश्न का माहौल और खूब चहल-पहल रहगी। वही घाटी में पारंपरिक व्यंजनों को भी परोसा जाएगा। माघ संक्रांति के अवसर पर जिला के हर घर में पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं। जिसमें भल्ले की खुश्बू 7 दिनों तक घाटी में महकेगी। ग्रामीण में पारंपरिक व्यंजनों का भी आदान-प्रदान करते हैं। माघ संक्रांति पर जिला वासियों ने अपने मंदिरों में जाकर अपने अपने आराध्य देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की। देवी देवताओं से बारिश की गुहार लगाई। स्थानीय निवासी संजीव कुमार ने बताया कि पितामह भीष्म ने भी इस दिन प्राण त्यागने का निर्णय लिया था। इस दिन जो भी व्यक्ति के प्राण जाते हैं तो वे मोक्ष की प्राप्ति करते हैं। उन्होंने कहा कि पौष माह की समाप्ति होने के बाद माघ यानी मकर सक्रांति शुरू हो जाती है आज से गर्मी की शुरुआत हो जाती है और घाटी में इस त्यौहार को बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि महिलांए, युवा, बच्चे सुबह घर घर जाकर जुब देते हैं और लोग अखरोट मिठाइयां रेवड़ी, मुंगफली आदि चीजें बच्चों को देते हैं और त्यौहार को लोग 7 दिनों तक घाटी में बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं। उन्होंने कहा कि सातवें दिन सदियाली के रूप में इसे मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि साल में दो ऐसे त्यौहार आते हैं जिसमें माश भल्ले बनाए जाते हैं और इसे देवी-देवता को भोग के रूप में भी चढ़ाया जाता है और आज भी यही परंपरा चली हुई है उन्होंने कहा कि घाटी में अतिथि को देवते के समान मनाया जाता और उन्हें पारंपरिक व्यंजन भी परोसे जाते हैं। उन्होंने कहा कि दो तीन महीने से बारिश नहीं हो रही है जिस कारण से बागवान और किसान लोग बहुत ही परेशान है उन्होंने कहा कि जो देवी देवता के कारकून है वे देवी देवता से बारिश के लिए गुहार लगाएं बिना बारिश के कुछ भी संभव नहीं हो सकता है और देवते से हम भी प्रार्थना करते हैं कि समय पर बारिश आए की किसान बागवानी फसल अच्छी हो।
कुल्लू ,14 जनवरी ! जिला कुल्लू में माघ संक्रांति के पर्व पर बच्चों ने घर घर जा कर जौ की जूब दे कर आर्शिवाद लिया और लोग अखरोट मिठाइयां रेवड़ी, मुंगफली आदि चीजें बच्चों को दिए। सात दिनों तक पारंपरिक तरीका से मकर सक्रांति का त्यौहार मनाया जाएगा। घाटी में इस त्यौहार का दिन भर जश्न का माहौल और खूब चहल-पहल रहगी।
वही घाटी में पारंपरिक व्यंजनों को भी परोसा जाएगा। माघ संक्रांति के अवसर पर जिला के हर घर में पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं। जिसमें भल्ले की खुश्बू 7 दिनों तक घाटी में महकेगी। ग्रामीण में पारंपरिक व्यंजनों का भी आदान-प्रदान करते हैं। माघ संक्रांति पर जिला वासियों ने अपने मंदिरों में जाकर अपने अपने आराध्य देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की। देवी देवताओं से बारिश की गुहार लगाई। स्थानीय निवासी संजीव कुमार ने बताया कि पितामह भीष्म ने भी इस दिन प्राण त्यागने का निर्णय लिया था। इस दिन जो भी व्यक्ति के प्राण जाते हैं तो वे मोक्ष की प्राप्ति करते हैं।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
उन्होंने कहा कि पौष माह की समाप्ति होने के बाद माघ यानी मकर सक्रांति शुरू हो जाती है आज से गर्मी की शुरुआत हो जाती है और घाटी में इस त्यौहार को बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि महिलांए, युवा, बच्चे सुबह घर घर जाकर जुब देते हैं और लोग अखरोट मिठाइयां रेवड़ी, मुंगफली आदि चीजें बच्चों को देते हैं और त्यौहार को लोग 7 दिनों तक घाटी में बड़ी धूमधाम के साथ मनाते हैं।
उन्होंने कहा कि सातवें दिन सदियाली के रूप में इसे मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि साल में दो ऐसे त्यौहार आते हैं जिसमें माश भल्ले बनाए जाते हैं और इसे देवी-देवता को भोग के रूप में भी चढ़ाया जाता है और आज भी यही परंपरा चली हुई है उन्होंने कहा कि घाटी में अतिथि को देवते के समान मनाया जाता और उन्हें पारंपरिक व्यंजन भी परोसे जाते हैं।
उन्होंने कहा कि दो तीन महीने से बारिश नहीं हो रही है जिस कारण से बागवान और किसान लोग बहुत ही परेशान है उन्होंने कहा कि जो देवी देवता के कारकून है वे देवी देवता से बारिश के लिए गुहार लगाएं बिना बारिश के कुछ भी संभव नहीं हो सकता है और देवते से हम भी प्रार्थना करते हैं कि समय पर बारिश आए की किसान बागवानी फसल अच्छी हो।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -