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कांगड़ा ! राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आज कांगड़ा जिला के नगरोटा बगवां स्थित मधुमक्खी अनुसंधान केन्द्र का दौरा किया। मधुमक्खी अनुसंधान केन्द्र नगरोटा बगवां की स्थापना वर्ष 1936 में डाॅ. सरदार सिंह के नेतृत्व में की गई थी, जिसका प्रशासनिक नियंत्रण तत्कालीन पंजाब सरकार के कृषि विभाग के अधीन लायलपुर में था, जो अब पाकिस्तान में स्थित है। भारत में यूरोपियन मधुमक्खी के आयात के लिए वर्ष 1930 से 1953 के दौरानविशेष प्रयास किए गए थे, परन्तु समुचित ज्ञान के अभाव में ये प्रयास सफल नहीं हुए। भारत में वर्ष 1960 में एपिस मेलिफेरा को उत्पादित करने में सफलता मिली और इस अनुसंधान केन्द्र में 1964 में इसे सफलतापूर्वक शुरू किया गया। राज्यपाल ने कृषि विश्वविद्यालय द्वारा इस अनुसंधान केन्द्र के सफलतापूर्वक संचालन की सराहना करते हुए कहा कि इस अनुसंधान केन्द्र को और अधिक आधुनिक बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस अनुसंधान केन्द्र को विरासत केन्द्र घोषित करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि शीघ्र ही इसे विरासत घोषित कर दिया जाएगा।
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